5G सेवा से चल जाएगा पता खेत में पानी देना है या कीटनाशक

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नई दिल्ली। 5जी सेवा की शुरुआत के बाद किसानों को मोबाइल के जरिए पता लग जाएगा कि खेत में कब पानी देना है और कब कीटनाशक दवाइयां छिड़कनी है। पेबल्स सेंसर टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से यह संभव हो पाएगा। लेकिन 5जी की मदद से ही पेबल्स सेंसर टेक्नोलॉजी को लागू किया जा सकता है।

पेबल्स टेक्नोलॉजी को चलाने के लिए इंटरनेट की स्पीड 5जी की तरह होनी चाहिए। इस टेक्नोलॉजी को इंटेल जैसी कंपनियां विकसित कर रही हैं। इस साल अक्टूबर में आयोजित होने वाले इंडिया मोबाइल कांग्रेस में इस प्रकार की टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन किया जाएगा।

सेंसर युक्त टुकड़ों को डालेंगे खेत में
सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) के महानिदेशक राजन मैथ्यू ने LEN DEN NEWS को बताया कि पेबल्स टेक्नोलॉजी के तहत सेंसर युक्त छोटे-छोटे टुकड़ों को खेत में डाल दिया जाएगा। ये टुकड़े किसानों को उनके मोबाइल फोन के जरिए रियल टाइम में अलर्ट भेजते रहेंगे कि उन्हें खेत में कब पानी देना है। वैसे ही, कीटनाशक की जरूरत महसूस होने पर किसानों को कीटनाशक डालने का अलर्ट आ जाएगा।

नदी के प्रदूषण स्तर की भी मिलेगी रियल टाइम जानकारी
मैथ्यू ने बताया कि नदियों में इस प्रकार के छोटे टुकड़ों को डालने पर रियल टाइम में यह पता चल जाएगा कि नदी के पानी में कितना प्रदूषण है और इसे दूर करने के लिए क्या करने की जरूरत है।

उन्होंने बताया कि पेबल्स टेक्नोलॉजी के लिए 5जी जैसी स्पीड की जरूरत होगी। इसलिए भारत में पेबल्स सेंसर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल 5जी आने के बाद ही संभव हो पाएगा। उन्होंने बताया कि टेलीकॉम कंपनियों की तैयारियों को देखते हुए 2019 के आखिर तक या फिर 2020 तक ही 5जी सेवा शुरू हो पाएगी।

5जी सेवा के लिए फाइबर का होना जरूरी
मैथ्यू ने बताया कि 5जी सेवा के लिए फाइबर की उपलब्धता जरूरी है। इसलिए आने वाले समय में भी 5जी सेवा स्मार्ट सिटी जैसी सीमित जगहों में उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया कि भारत में 4जी सेवा का ही बोलबाला रहेगा।

5जी के लिए हैंडसेट में भी बदलाव करने की जरूरत पड़ेगी। डेंस एरिया के लिए (मतलब जहां कम एऱिया में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले काफी अधिक संख्या में लोग होंगे), 5जी सेवा काफी सफल साबित होगी।