नई दिल्ली। आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) 1 जुलाई से बॉयोमैट्रिक फीचर्स में फेस ऑथेन्टिकेशन की भी फैसिलिटी देगा। UIDAI ने ये कदम उन लोगों की मदद के लिए उठाया है जिनके आयरिस (आंखों) और फिंगरप्रिंट वेरीफिकेशन में दिक्कत आती है।
इस कदम के बाद बूढ़ों और खराब घिसे हुए फिंगरप्रिंट वालों का भी बॉयोमैट्रिक वेरीफिकेशन हो सकेगा। बता दें कि इससे पहले UIDAI लोगों के डाटा को सुरक्षित करने के लिए 16 डिजिट की वर्चुअल आईडी जारी करने की बात कह चुका है।
क्यों लाया जा रहा फेस ऑथेंटिकेशन फीचर?
UIDAI के सीईओ अजय भूषण पांडे ने इस फीचर की जानकारी ट्विटर पर शेयर की है। उन्होंने लिखा, “UIDAI लोगों की पहचान के लिए एक और टेक्नोलॉजी ला रहा है- फेस ऑथेन्टिकेशन। इस फीचर से बूढ़ों और उन सब लोगों को मदद मिलेगी, जिन्हें फिंगरप्रिट से ऑथेन्टिकेशन में दिक्कत आती है। ये सेवा 1 जुलाई 2018 से लॉन्च होगी।
UIDAI ने अपने स्टेटमेंट में कहा कि अब आधार एनरोलमेंट के लिए लोगों के चेहरे की फोटो भी ली जाएगी।
– “ये फैसिलिटी उन सभी बूढ़े और ज्यादा काम करने वालों का ऑथेन्टिकेशन में मदद करेगी जो अपने खराब हो चुके फिंगरप्रिंट्स की वजह से बॉयोमेट्रिक ऑथेन्टिकेशन नहीं करा पाते हैं।”
अभी कैसे होता है ऑथेन्टिकेशन?
आधार में एनरोल होने के लिए अभी लोगों के आइरिस और फिंगरप्रिंट स्कैन ही लिए जाते हैं। हालांकि, कई लोगों को आंखों की परेशानी या घिसे हुए हाथों की वजह से ऑथेन्टिकेशन में दिक्कत आती थी। फेस ऑथेन्टिकेशन फीचर आने से ऐसे लोगों की परेशानी में कमी आएगी।
हालांकि, ये फीचर किसी दूसरे ऑथेन्टिकेशन फीचर (आइरिस, फिंगरप्रिट स्कैन या OTP) के साथ ही इस्तेमाल किया जाएगा। वन टाइम पासवर्ड (OTP) फीचर में ऑथेन्टिकेशन के लिए आधार यूजर के मोबाइल पर एक पासवर्ड भेजा जाएगा, जिससे उसकी पहचान कन्फर्म की जा सकेगी।
वर्चुअल आईडी जारी करने का फैसला हो चुका है
– आधार डेटा की सुरक्षा के लिहाज से UIDAI पहले ही वेरिफिकेशन के लिए वर्चुअल आईडी जारी करने का फैसला कर चुका है।
– यह ऑप्शनल होगी, कोई यूजर वेरिफिकेशन के लिए अपना 12 अंक का आधार नंबर नहीं बताना चाहता है तो वह वर्चुअल आईडी दे सकता है।
– 1 जून से सभी एजेंसियां इस आईडी के जरिए भी वेरिफिकेशन करेंगी। कोई भी आधार होल्डर UIDAI की वेबसाइट से वर्चुअल आईडी जनरेट कर सकता है। 16 डिजिट की इस आईडी का इस्तेमाल मोबाइल नंबर के वेरिफिकेशन समेत कई स्कीम में KYC के लिए किया जा सकता है।
वेरिफिकेशन प्रॉसेस में क्या बदलाव होगा?
– UIDAI के सर्कुलर में कहा गया है कि आधार होल्डर 12 डिजिट के नंबर की जगह वर्चुअल आईडी से वेरिफिकेशन करा सकते हैं। केवाईसी की प्रॉसेस आधार जैसी ही होगी।
– 1 जून, 2018 से सभी एजेंसियों के लिए जरूरी होगा कि वे वर्चुअल आईडी से भी यूजर्स का वेरिफिकेशन करें। इससे इनकार करने पर एजेंसियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
– आधार की सेफ्टी और प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए वर्चुअल आईडी जारी किया जाएगा। चूंकि यह बैक एंड पर आधार से मैप होगी, इससे बिना आधार नंबर शेयर किए ही वेरिफिकेशन प्रॉसेस पूरी हो जाएगी। इससे एजेंसियां के पास आधार डेटा का स्टोरेज कम होगा।
कैसे जनरेट होगी वर्चुअल आईडी?
– वर्चुअल आईडी आधार से मैप होगी। इसे यूआईडीएआई की वेबसाइट से जनरेट किया जा सकेगा। जरूरत के मुताबिक, आधार होल्डर कई बार आईडी जनरेट कर सकते हैं। नई वर्चुअल आईडी जनरेट होने पर पुरानी अपने आप कैंसल हो जाएगी।
– वर्चुअल आईडी कम्प्यूटर से बना 16 डिजिट का नंबर होगा, जो जरूरत पड़ने पर तत्काल जारी किया जाएगा। इसे 1 मार्च से जनरेट किया जा सकेगा।
लिमिटेड होगी आधार से जुड़ी केवाईसी
– दूसरी ओर, सरकार केवाईसी के लिए आधार के इस्तेमाल को भी सीमित करेगी। अभी कई एजेंसियों के पास आपकी डिटेल पहुंच जाती है और वो उसे अपने पास रखते हैं।
– जब केवाईसी के लिए आधार का जरूरत ही कम हो जाएगी, तो ऐसी एजेंसियों की संख्या भी घट जाएगी, जिनके पास आपकी डिटेल होगी।
देश में अब तक कितने आधार होल्डर?
– अथॉरिटी के मुताबिक, अब तक देश के 119 करोड़ लोगों को आधार नंबर (बायोमैट्रिक आईडी) जारी किए जा चुके हैं। कोई भी इसे पहचान के तौर पर पेश कर सकता है।
मोबाइल नंबर को आधार से जोड़ा जा रहा
– कालेधन पर लगाम कसने के लिए सरकार इसे बैंक अकाउंट और पैन नंबर से लिंक करना जरूरी कर चुकी है। इसी तरह मोबाइल नंबर्स को भी आधार से जोड़ा जा रहा है।