कोटा। अंतर्राष्ट्रीय जल संरक्षण दिवस पर चम्बल संसद ने शनिवार को चम्बल नदी और तालाबों जंगलों, भूगर्भ जल को बचाने का संकल्प लिया। ओम कोठारी प्रबंधन एवं शोध संस्थान अनंतपुरा के सभागार में सिख कौशिक गायत्री परिवार राष्ट्रीय सेवा योजना, कोटा एनवायरमेंटल सैनिटेशन समिति, जल बिरादरी बाघ-चीता मित्रों ने एक वृहद संगोष्ठी को संबोधित किया।
मुख्य अतिथि शिक्षाविद् डॉ. गोपाल सिंह ने कहा कि हमें पानी के दुरुपयोग को रोकते हुए जल स्रोतों को संरक्षित करने की सोच बनानी होगी। चावल की फसल में ज्यादा पानी लगता है तो इस बारे में भी विचार करना होगा कि किस प्रकार की फसले बाई जाए। कपास को पैदा करने और कपड़े बनाने में भी पानी बहुत खर्च होता है। कपड़ों को भी इस प्रकार से पहना जाए कि उनको धोने में कम से कम पानी लगे। उन्होंने युवाओं को सलाह दी कि जींस जैसे मोटे कपड़ों को पहनने की आदत छोड़ें। इसे धोने में पानी भी अधिक खर्च होता है।
चंबल संसद के सभापति जीडी पटेल ने कहा कि किसान वर्ग को भी खेती बाड़ी के कार्य में पानी के सदुपयोग पर ध्यान देना चाहिए। चंबल संसद के अध्यक्ष कुंज बिहारी नंदवाना ने बताया कि धरती पर नम भूमि वेटलैंड की कमी होने से जंगलों में आग बढ़ रही है, जो कि प्रकृति और जनजीवन के लिए खतरनाक संकेत है। जंगलों का विनाश होता रहा तो पृथ्वी पर तापमान भयंकर हो जाएगा।
संसद के संयोजक बृजेश विजयवर्गीय ने चम्बल को प्रदूषण, अतिक्रमण और शोषण से बचाने की आवश्यकता है, अन्यथा राजस्थान और मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में पानी का भीषण संकट हो सकता है। पेड़ पौधे और वन संपदा ही जल संवर्धन कर सकते हैं। किसी भी प्रयोगशाला में पानी को बनाया नहीं जा सकता। समाज, संत, शासन और महाजन को संयुक्त रूप से पानीदार समाज बनाना होगा।
ओम कोठारी इंस्टीट्यूट के निदेशक एवं चंबल संसद के उपाध्यक्ष डॉ. अमित सिंह राठौड़ ने कहा कि हमारे देखते ही देखते पानी बोतल में बिक रहा है। भूगर्भ जल स्तर खतरनाक स्थिति तक पहुंच गया है। जैविक खेती के विशेषज्ञ पूर्व पार्षद युधिष्ठिर चांनसी ने नदियां धीरे-धीरे बहना घाट घाट पर बहना, खारा है सारा संसार कविता के माध्यम से जल और जल स्रोतों का महत्व बताया। जल बिरादरी के वरिष्ठ सदस्य राजेंद्र जैन ने जल दिवस पर शाहबाद के जंगलों को किसी भी कीमत पर नष्ट नहीं करने का संकल्प दिलाया।
भदाना के प्रगतिशील किसान रामनिवास राठौर ने इस अवसर पर खेती किसानी एवं जल संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी का संचालन यज्ञदत्त हाडा ने किया। संस्थान के प्रतीक गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि छात्र-छात्राओं एवं कॉलेज प्रबंधन ने जल संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए ।