आचार्य प्रज्ञा सागर ने दी युवाओं को नौकरी से अधिक व्यवसाय की ओर बढ़ने की प्रेरणा

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कोटा। श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, महावीर नगर द्वितीय में आचार्य प्रज्ञा सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में विशेष प्रवचन सभा आयोजित की गई। इस अवसर पर गुरुदेव ने युवाओं को आत्मनिर्भर बनने और व्यवसाय की ओर अग्रसर होने का संदेश दिया।

अध्यक्ष दर्पण जैन ने बताया कि गुरूदेव का पाद पक्षालन पवन अजमेरा व विनोद चुनावाला परिवार द्वारा किया गया। मंगलाचारण परिधि बाकलीवाल ने किया।कार्यक्रम का संचालन विकास पाटौदी ने कुशलतापूर्वक किया।

गुरुदेव ने अपने प्रवचन में कहा कि “युवा केवल नौकरी की अपेक्षा न करें, बल्कि अपने कौशल और क्षमता के आधार पर स्वयं का व्यवसाय स्थापित करें। उन्होंने बताया कि स्वरोजगार न केवल आत्मनिर्भरता लाता है, बल्कि समाज और राष्ट्र की आर्थिक समृद्धि में भी योगदान देता है।

गुरुदेव ने कहा कि प्राचीन भारतीय संस्कृति में व्यापार और स्वावलंबन को विशेष महत्व दिया गया है। हमारी परंपरा में वैश्य धर्म को जीवन का आधार माना गया है, जहां व्यक्ति स्वयं के परिश्रम और बुद्धिमानी से समाज के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करता है।

गुरुदेव ने उदाहरण देते हुए कहा कि “धन कमाना बुरा नहीं है, लेकिन धन का सदुपयोग करना महत्वपूर्ण है।” उन्होंने प्रेरित किया कि युवा अपने व्यवसाय को समाजसेवा और धार्मिक कार्यों से जोड़ें, जिससे वे न केवल आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे, बल्कि आत्मिक संतोष भी प्राप्त करेंगे। उन्होने अपने पर्यावरण सरंक्षण के लिए 1 करोड पौधे लगाने के संकल्प में युवाओं को जोड़ने का आव्हान किया।