नई दिल्ली। Budget 2025-26: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इस बार टैक्सपेयर्स को बजट से काफी उम्मीदें हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार खपत बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए इनकम टैक्स घटाने पर विचार कर रही है। अभी नई और पुरानी, दोनों कर व्यवस्था में 10-15 लाख रुपये से ज्यादा सालाना इनकम वाले लोगों को सबसे ज्यादा 30 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है। ऐसे में सरकार 10 लाख रुपये तक की सालाना इनकम को टैक्स फ्री करने पर विचार कर सकती है।
न्यू टैक्स रिजीम पर हो सकता है वित्त मंत्री का फोकस
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2020 में न्यू टैक्स रिजीम (New regime of income tax) की शुरुआत की थी। इसमें निवेश या होम लोन जैसी चीजों पर टैक्स डिडक्शन का लाभ नहीं मिलता, लेकिन टैक्स रेट कम हैं। पहले टैक्सपेयर्स ने इसमें ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई, लेकिन अब इसके तहत आईटीआर फाइल करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि सरकार इसे और भी अधिक आकर्षक बनाने की कोशिश कर सकती है।
कितने टैक्सपेयर्स कर रहे न्यू टैक्स रिजीम का इस्तेमाल
अब करीब 72 फीसदी टैक्सपेयर्स न्यू टैक्स रिजीम के तहत आईटीआर फाइल करने लगे हैं। इसकी बड़ी वजह है कि नई कर व्यवस्था काफी आसान है और इसमें बिना किसी झंझट के अच्छी-खासी रकम टैक्स फ्री हो जाती है। वहीं, ओल्ड टैक्स रिजीम में वही लोग हैं, जिन्होंने होम लोन ले रखा है या फिर टैक्स बचाने के लिए कई योजनाओं में निवेश कर रखा है।
कितने लोग फाइल कर रहे हैं जीरो ITR
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का असेसेटमेंट ईयर 2023-24 का डेटा बताता है कि आईटीआर फाइल करने वाले 70 फीसदी लोगों ने जीरो रिटर्न फाइल किया। इसका मतलब है कि उनकी सालाना कमाई 5 लाख रुपये या इससे कम थी। वहीं, रिटर्न फाइल करने वाले 88 फीसदी लोगों की इनकम 10 लाख रुपये से कम और 94 फीसदी लोगों की 15 लाख रुपये से कम थी।
10 लाख तक की इनकम टैक्स-फ्री करेगी सरकार
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के डेटा से साफ जाहिर होता है कि सरकार को सबसे अधिक रेवेन्यू उन लोगों से मिलता है, जिनकी सालाना इनकम 10-15 लाख रुपये से ज्यादा है। ऐसे में 10 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स-फ्री करने विचार कर सकती है। इससे मिडल क्लास तबके को बड़ी राहत मिलेगी। अर्थशास्त्रियों ने सरकार को 10-15 लाख रुपये वाले स्लैब में भी टैक्स घटाने का सुझाव दिया है। इससे लोगों के हाथ में ज्यादा पैसे बचेंगे, जिससे खपत और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।