मुम्बई। कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में अरहर (तुवर) की फसल आंशिक रूप से प्रभावित होने की सूचना है मगर महाराष्ट्र सहित अन्य उत्पादक राज्यों में स्थिति बेहतर होने से कुल उत्पादन में पिछले दो वर्षों के मुकाबले इस बार अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।
प्रमुख उत्पादक राज्यों में नई फसल की कटाई-तैयारी एवं मंडियों में आवक शुरू होने तथा विदेशों से आयात में भी तुवर के निर्यात ऑफर मूल्य में कमी आने लगी है क्योंकि भारतीय आयात घटने घरेलू बाजार भाव को देखते हुए अब ऊंचे दाम पर इसका आयात अनुबंध करने के लिए तैयार नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि 2022-23 एवं 2023-24 के खरीफ मार्केटिंग सीजन में उत्पादन घटने तथा भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की तुलना में कम से कम 30 प्रतिशत ऊंचा रहने के कारण नैफेड एवं एनसीसीएफ जैसी सरकारी एजेंसियों को किसानों से तुवर की खरीद करने में ज्यादा सफलता नहीं मिली।
लेकिन 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन में स्थिति कुछ भिन्न नजर आ रही है। सरकार ने तुवर का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर 7550 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जबकि इस महत्वपूर्ण दलहन का थोक मंडी भाव घटकर समर्थन मूल्य के आसपास आने लगा है।
आगामी सप्ताहों के दौरान मंडियों में तुवर की आवक जोर पकड़ने पर दाम गिरकर समर्थन मूल्य से नीचे आने की संभावना व्यक्त की जा रही है जिससे सरकारी एजेंसियों को इसकी खरीद के लिए बाजार में उतरना पड़ सकता है। कुछ मंडियों में तुवर का भाव घटकर 7500-7700 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया है।
चालू माह (जनवरी 2025) के अंत तक सभी मंडियों में तुवर की जोरदार आपूर्ति आरंभ हो जाने की संभावना और तब इसका थोक भाव घटकर समर्थन मूल्य से नीचे आ सकता है।उड़द का मंडी भाव भी 7400 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास ही चल रहा है। इसका आयात म्यांमार के साथ-साथ ब्राजील से भी हो रहा है। सरकार ने 9 लाख टन तुवर की खरीद की अनुमति प्रदान की है।