खरीद के लिए खुल्ले पैसों का झंझट खत्म, मेला बना कैशलेस इकोनॉमी का जीवंत उदाहरण
कोटा। Kota Dussehra 2024 : कोटा का 131वां राष्ट्रीय दशहरा मेला देश में तेजी से बढ़ रही कैशलेस इकोनॉमी का जीवंत उदाहरण साबित हुआ। मेले में सिंघाड़े और गोलगप्पों की खरीद से लेकर कार तक की बुकिंग के लिए यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) का खूब इस्तेमाल हो रहा है।
आलम यह है कि मेले में 95 फीसदी से अधिक दुकानदार यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिसके चलते पांच दस रुपए जैसी छोटी-छोटी खरीदारी के लिए दुकानदारों को खुल्ले पैसे रखने और ग्राहकों को भारी भरकम पर्स रखने की जद्दोजहद से मुक्ति मिल गई है।
डिजिटलाइजेशन के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत में कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों के परिणाम अब स्पष्ट रूप से दिखने लगे हैं। कोटा का 131वां राष्ट्रीय दशहरा मेला इसका जीवंत उदाहरण बनकर सामने आया है।
जहां मझोले और छोटे दुकानदारों ने डिजिटल पेमेंट को अपनाकर व्यापार की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। इस मेले में 95 प्रतिशत तक दुकानदार यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के माध्यम से भुगतान स्वीकार कर रहे हैं।
पहले मेला घूमने आ रहे लोगों को ही नहीं बल्कि फुटकर दुकानदारों को छोटे-मोटे लेन-देन के लिए ग्राहकों से सौ, पचास और उससे बड़े नोट लेकर खुल्ले पैसे वापस करने की समस्या का सामना करना पड़ता था। जिसके चलते जमकर विवाद होते थे। इस बार जिस तेजी से मेले में यूपीआई का इस्तेमाल बढ़ा है। खरीदारी खासी सुगम हो गई है।
इतना ही नहीं दुकानदारों की मानें तो डिजिटल पेमेंट का बड़ा फायदा यह है कि अब उन्हें बिक्री के बाद मिली रकम की सुरक्षा और फिर उसे ले जाकर बैंक में जमा करने की माथा पच्ची से पूरी तरह मुक्ति मिल गई है।
वहीं ग्राहक भी तय रकम आसानी से भुगतान कर जाते हैं। नहीं तो कई बार खुले पैसे न होने के कारण पांच दस रुपए का डिस्काउंट देना आम था। या फिर ग्राहक खुले पैसे न होने के कारण खरीदारी किए बिना ही लौट जाते थे। लेकिन, अब ऐसा नहीं है।
मेला घूमने आए ग्राहकों की मानें तो बड़ी दुकानों से लेकर झूले, रेहड़ी और ठेले वालों के यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट लेने का एक बड़ा फायदा यह है कि उन्हें छोटे नोट संभालकर रखने की आवश्यकता नहीं रहती।
मेले जैसी जगहों पर जहां भीड़ होती है और छोटे-छोटे सामानों की खरीदारी होती है, वहां कैश संभालना हर बार चुनौती ही रहा है। स्थिति यह है कि मेले में आए लोग बिना नकद लिए भी मेले में घूम सकते हैं और आसानी से यूपीआई या अन्य डिजिटल माध्यमों से भुगतान कर पा रहे हैं।
मेले में डिजिटल पेमेंट से 95 फीसदी लेनदेन
मेला अध्यक्ष विवेक राजवंशी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया बनाने की मुहिम को जमीनी स्तर पर साकार करने के लिए इस बार मेला समिति ने मेले में दुकान लेने आए बड़े और मझोले ही नहीं छोटे दुकानदारों तक से यूपीआई से पेमेंट लेने का अनुरोध किया था। हमारी कोशिशों का फायदा यह हुआ कि सभी झूलों, खाने पीने से लेकर मेले में किसी भी तरह का सामान बेच रहे लोगों जिनमें स्टॉल से लेकर ठेले लगाने वाले तक शामिल हैं, ने यूपीआई का इस्तेमाल किया है। स्थिति यह है कि मेले में अधिकांश खरीदारी कैशलेस है और 95 फीसदी दुकानदार डिजिटल पेमेंट स्वीकार कर रहे हैं। इससे दुकानदारों और ग्राहकों ही नहीं मेला प्रबंधन को भी खासी सहूलियत हो रही है। पैसे के लेनदेन को लेकर एक भी विवाद की शिकायत अभी तक नहीं आई है। कोटा का दशहरा मेला देश में यूपीआई पेमेंट का बड़ा उदाहरण साबित होगा।