Shriram Katha: हनुमानजी से अच्छा और कोई गुरु नहीं हो सकता

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पंडित विजयशंकर मेहता ने चौथे दिन किया किष्किंधा काण्ड का वर्णन

कोटा। राष्ट्रीय मेला दशहरा 2024 के अंतर्गत श्रीराम रंगमंच पर चल रही श्रीराम कथा में चौथे दिन व्यासपीठ से पं. विजयशंकर मेहता ने किष्किंधाकांड का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जीवन की असल संपत्ति तो राम नाम है। भगवान हनुमान सुख और शांति देने वाले हैं।

उन्होंने कहा कि आज हर तरफ नकारात्मकता का भाव है। हर कोई परेशान नजर आता है। घरों से शक्ति, भक्ति और शांति चली गई है। भगवान से जुडो, ईश्वर में समाधान खोजो। बाली ने अहंकार किया वह मारा गया। जो आया है वह जाएगा। शरीर पांच तत्व से बना है। व्यक्ति की मौत होने पर आकाश, जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु सब अपना हिस्सा ले लेते हैं। प्राण जाने पर शरीर का कोई मोल नहीं रह जाता है।

श्रीराम-सुग्रीव मित्रता के प्रसंग से समझाया कि जीवन में भूल सभी से हो जाती है, परंतु समय रहते उसे सुधार कर लेने से परेशानियों से बचा जा सकता है। इससे भविष्‍य में होने वाली बड़ी समस्‍याओं से बचने में सहायता मिलती है। इसलिए समय रहते भूल को सुधार लेने में कोई बुराई नहीं है।

जीवन में और कोई योग्य गुरु न मिलें तो हनुमानजी को ही गुरु और हनुमान चालीसा को गुरु मंत्र बना लीजिए। हनुमान चालीसा की 37वीं चौपाई ‘जै जै जै हनुमान गुसाई कृपा करो गुरुदेव की नांई’ लिखकर तो तुलसीदासजी ने इस बात की घोषणा ही कर दी है कि हनुमानजी से अच्छा और कोई गुरु नहीं हो सकता। जीवन में हनुमानजी को बनाएं रखें। समस्याएं तो आएंगी परंतु समाधान बहुत आसानी से मिल जाएंगे।

हनुमान चालीसा से ध्यान लगाना सिखाया
पंडित विजय शंकर मेहता ने भक्तों को हनुमान चालीसा के माध्यम से ध्यान लगाने की विधि समझाई । उन्होंने कहा कि शरीर से आत्मा की यात्रा में मन आता है। अच्छी चीज मने को अच्छी नहीं लगती है। इसके लिए ध्यान लगाना पड़ता है।