कोटा। Mallakhamb Pradarshan: कभी पहलवानी के करतब तो कभी योग की मुद्राएं बनाना, कहने में मजाक लगता है लेकिन जिसने भी देखा दांतों तले उंगलियां दबा ली। कोटा के 131वें राष्ट्रीय दशहरा मेले में बुधवार को विजयश्री रंगमंच पर परंपरागत भारतीय खेल के रूप में मलखंभ (Mallakhamb Pradarshan) की प्राचीन कला का जीवंत प्रदर्शन देखने को मिला।
खिलाड़ियों ने ऊर्ध्वाधर लकड़ी के खंभे “मलखंभ” पर पिरामिड बनाकर सबको हैरान कर दिया। एक खंभा वो भी फिसलन भरा, उस पर योग और पहलवानी के करतब दिखाते बच्चे। शक्ति, संतुलन और मनोनिग्रह का बेजोड़ संगम देख दशहरा मैदान में मौजूद हर एक दर्शक कौतूहल से भर उठा।
मलखंभ एवं योग एकेडमी के प्रशिक्षक डॉ राजेश शर्मा, गोपाल सिसोदिया और दीपक वर्मा के निर्देशन में 8 से 18 साल तक के बच्चों ने ऐतिहासिक प्रस्तुति दी। शरद पूर्णिमा के चांद की तरह अपनी संपूर्ण कलाओं का प्रदर्शन करने को आतुर बच्चों ने पश्चिमोत्तानासन, नटराज आसान, चक्रासन, एक हस्त मयूरासन, शीर्षासन और धनुरासन का प्रदर्शन किया।
सबसे पहले वंश प्रजापति और यश प्रजापति ने मलखंभ पर तेजी से चढ़ कर शीर्ष पर पहुंचे और कभी एक पैर तो कभी एक पर उल्टे खड़े हुए तो दर्शक भौंचक्के रह गए। उनका करतब देख पूरा विजयश्री रंगमंच तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
इसके बाद जतिन सेन, त्रिलोक मालव, मोहित टांक, विक्की जैन, चिराग पंवार और मोहित सिंह ने मलखंभ पर खड़े हो संतुलन का शानदार प्रदर्शन किया। कीर्ति, सुनीता, जानवी, हेम कंवर, खुशी, मृणाली, स्वस्तिका और कशिश ने मलखंभ पर चढ़कर जैसे ही धनुष की आकृति बनाई, बालिकाओं की इस हैरतअंगेज प्रदर्शन को देख हर कोई चौंक गया।
एकल प्रस्तुतियों के बाद जब सामूहिक योग प्रस्तुतियों का दौर आया तो विजय श्री रंगमंच के सामने बैठा हर एक दर्शक जहां का तहां ठहर गया। मलखंभ एवं योग प्रदर्शन में 40 से भी अधिक बालक बालिकाओं ने प्रस्तुति दी। इस दौरान मेला आयोजन समिति, नगर निगम, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।