कोटा। मनोचिकित्सक एवं काउंसलर डॉ. नीना विजयवर्गीय ने कार्यशाला में बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, लगभग दुनिया की आधी से अधिक आबादी की उम्र काम करने की है। जिसमें से 15 प्रतिशत वयस्क मानसिक परेशानी के साथ जी रहे हैं। ऐसे लोगों को अगर समय रहते सही इलाज और सहायता न मिले, तो मानसिक बीमारियां और अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां किसी भी व्यक्ति पर बुरा असर डाल सकती हैं।
इससे न केवल उनका काम प्रभावित होगा, बल्कि उनके आत्मविश्वास और काम करने की क्षमता में भी काफी कमी आती है। खराब मानसिक स्वास्थ्य होने के चलते परिवार, सहकर्मी, समाज और यहां तक के खुद के करियर पर भी बहुत नकारात्मक असर पड़ता है। लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित करना जरूरी है कि मेंटल हेल्थ केवल इमोशनल या पर्सनल लाइफ की वजह से खराब नहीं होती, बल्कि वर्क लाइफ से भी हो सकती है।
ऐसे में डिप्रेशन, स्ट्रेस लेने से लेकर लोग सुसाइड तक करने में उतारु हो जाते हैं। दुनिया में हर 8 में से 1 व्यक्ति मेंटल हेल्थ की समस्याओं के साथ जी रहा है। दुनिया में लगभग 97 करोड़ लोग डिप्रेशन का शिकार है और भारत में 4.5 प्रतिशत लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों को सही जानकारी न होने के चलते सही इलाज नहीं मिल रहा है। इस कार्यशाला के दौरान काउंसलर व विषय विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा जानकारी प्रदान की गई कि जीवन में और कार्यस्थल पर आने वाले तनाव का सामना कैसे करें।
किस तरह से मानसिक स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से बचा जा सकता है, कैसे इनके प्रभाव को कम किया जा सकता है और मानसिक रोग से ग्रस्त होने पर भी किस तरह से अपना जीवनयापन किया जा सकता है। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक विकारों, इनके लक्षण, संभावित कारण, इनसे जुड़ी भ्रांतियां व तथ्य, निवारण, उपचार के उपाय आदि के बारे में विस्तारपूर्वक बताया।