नई दिल्ली। Black Pepper: विदेशों और खासकर श्रीलंका से बढ़ते आयात के कारण पिछले कुछ सप्ताहों से कालीमिर्च के घरेलू बाजार भाव पर दबाव बना हुआ है लेकिन आगामी सप्ताहों के दौरान इसमें कुछ तेजी आने की उम्मीद है।
दरअसल प्रमुख उपयोगकर्ता क्षेत्रों में आयातित कालीमिर्च का अच्छा खासा स्टॉक मौजूद होने तथा मानसून की वर्षा का दौर जारी रहने से दक्षिण भारत की उत्पादक मंडियों में कारोबार कमजोर पड़ गया। इसके साथ-साथ आयातकों द्वारा अपेक्षाकृत कम दाम पर इसकी भारी बिक्री भी की गई। इससे बाजार पर असर पड़ने लगा।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार कोच्चि के टर्मिनल मार्केट में अगस्त माह के दौरान कालीमिर्च का भाव 1400 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट के साथ गार्बल्ड श्रेणी का 66,600 रुपए प्रति क्विंटल तथा अन गार्बल्ड किस्म का 64,600 रुपए प्रति क्विंटल रह गया। इस मार्केट में औसतन 20-25 टन कालीमिर्च की दैनिक आवक हो रही है।
इसमें विदेशों से आयातित माल की मात्रा ज्यादा और घरेलू उत्पादन की मात्रा बहुत कम है। उत्पादकों को उम्मीद थी कि कालीमिर्च का भाव बढ़कर 70,000 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच जाएगा लेकिन आयातकों की भारी बिकवाली ने बाजार का समीकरण बिगाड़ दिया।
जुलाई माह के दौरान देश में कुल 5085 टन कालीमिर्च का आयात हुआ। इसमें सिर्फ श्रीलंका से आयातित माल का योगदान करीब 4400 टन रहा। शेष कालीमिर्च का आयात वियतनाम सहित अन्य देशों से किया गया।
आयातित माल की बिक्री जल्दी-जल्दी की जा रही है। खपत केन्द्रों में आयातित माल की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ गई है। वैसे इसकी क्वालिटी काफी कमजोर बताई जा रही है और इसमें नमी का अंश भी ऊंचा है।
समझा जाता है कि त्यौहारी सीजन में बढ़ने वाली मांग को पूरा करने के लिए दिसावरी व्यापारी अब उत्पादक केन्द्रों में कालीमिर्च की खरीद में अच्छी दिलचस्पी दिखा सकते हैं जिससे वहां कीमतों में कुछ तेजी आने की उम्मीद है।
आयातक अपना अधिकांश स्टॉक बेच चुके हैं जबकि केरल एवं कर्नाटक में अभी स्वदेशी कालीमिर्च का स्टॉक मौजूद है। यह देखना आवश्यक होगा कि अगस्त माह में विदेशों से इसका कितना आयात हुआ।