राजस्थान से ज्यादा सुसाइड के केस महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों में, फिर भी बदनाम है कोटा

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देश भर में महिला छात्रों की आत्महत्याओं में 7 फीसदी वृद्धि

नई दिल्ली/ कोटा। Students Suicide Rate : राजस्थान से ज्यादा सुसाइड के केस महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों में होते आ रहे हैं, फिर भी कोचिंग सिटी एवं एजुकेशन हब कोटा को बदनाम किया जा रहा है। इसका नतीजा यह हुआ है कि और सालों के मुकाबले इस साल 50 फीसदी छात्र ही कोटा में कोचिंग करने आये।

एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में छात्रों द्वारा आत्महत्या के मामलों में चिंताजनक रूप से बढ़ोतरी देखने को मिली है। सुसाइड के आंकड़ों पर हम नजर डालें तो देश में सबसे ऊपर महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्यप्रदेश हैं।

IC3 नामक एक संस्था, जो स्कूलों को मार्गदर्शन और प्रशिक्षण संसाधन प्रदान करती है, ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि पिछले दो दशकों में छात्र आत्महत्याओं में सालाना 4% की दर से वृद्धि हुई है। यह राष्ट्रीय औसत से दोगुना है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 में छात्र आत्महत्या के 13,044 मामले सामने आए, जबकि 2021 में यह संख्या 13,089 थी। हालांकि साल-दर-साल मामलों में मामूली कमी आई है, लेकिन चिंता की बात यह है कि पिछले 10 सालों में कुल आत्महत्याओं (छात्र और अन्य) में जहां औसतन 2% की वृद्धि हुई है, वहीं छात्र आत्महत्याओं में यह आंकड़ा 4% रहा है।

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि 2022 में कुल 1,70,924 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए, जबकि 2021 में यह आंकड़ा 1,64,033 था। यानी 2021 से 2022 के बीच कुल आत्महत्याओं में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

राज्यवार आंकड़े
रिपोर्ट में छात्र आत्महत्या के मामले में राज्यों का ब्योरा भी दिया गया है। महाराष्ट्र में सबसे ज़्यादा 1,764 छात्रों ने आत्महत्या की, जो कुल आत्महत्याओं का 14% है। इसके बाद तमिलनाडु का नंबर आता है जहां 1,416 छात्रों ने अपनी जान दी (कुल का 11%)। मध्य प्रदेश (1,340 – कुल का 10%) और उत्तर प्रदेश (1,060 – कुल का 8%) में भी आत्महत्या के मामले चिंताजनक हैं। झारखंड में यह आंकड़ा 824 (कुल का 6%) रहा।

2021 में भी महाराष्ट्र (1,834 – कुल का 14%), मध्य प्रदेश (1,308 – कुल का 10%) और तमिलनाडु (1,246 – कुल का 10%) में सबसे ज़्यादा छात्र आत्महत्या के मामले दर्ज हुए थे। इन तीन राज्यों में देश में होने वाली कुल छात्र आत्महत्याओं का एक तिहाई हिस्सा शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तमिलनाडु और झारखंड में साल-दर-साल छात्र आत्महत्याओं में क्रमशः 14% और 15% की बढ़ोतरी हुई है जो बेहद चिंताजनक है। कोचिंग सिटी के नाम से मशहूर राजस्थान के कोटा शहर में भी छात्र आत्महत्या के मामले कम नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में राजस्थान में 571 छात्रों ने आत्महत्या की।

वर्षराज्यसुसाइड केस प्रतिशत
2021महाराष्ट्र 1,83414
2021मध्य प्रदेश1,30810
2021तमिलनाडु1,246 10

लिंग के आधार पर विश्लेषण
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक दशक में जहां 0-24 आयु वर्ग की आबादी 582 मिलियन से घटकर 581 मिलियन हो गई, वहीं छात्र आत्महत्याओं की संख्या 6,654 से बढ़कर 13,044 हो गई। लिंग के आधार पर देखें तो पिछले 10 सालों में पुरुष छात्रों द्वारा आत्महत्या के मामलों में 50% की बढ़ोतरी हुई है जबकि महिला छात्रों द्वारा आत्महत्या के मामलों में 61% की वृद्धि हुई है।

पिछले पांच वर्षों में, पुरुष और महिला दोनों छात्रों ने औसतन सालाना 5% की वृद्धि दर्ज की है। 2022 में, कुल छात्र आत्महत्याओं में पुरुष छात्रों की संख्या 53% थी। 2021 और 2022 के बीच, पुरुष छात्र आत्महत्याओं में 6% की कमी आई, जबकि महिला छात्र आत्महत्याओं में 7% की वृद्धि हुई। 2012 से अब तक के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पुरुष छात्र आत्महत्याओं में 99% और महिला छात्र आत्महत्याओं में 92% की बढ़ोतरी हुई है।

रिपोर्ट में ट्रांसजेंडर छात्रों के आंकड़ों की कमी पर भी प्रकाश डाला गया है। इसमें कहा गया है, ‘यह स्वीकार करना ज़रूरी है कि ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए व्यापक और सटीक डेटा संग्रह, रिकॉर्डिंग और रिपोर्टिंग अनिवार्य है, क्योंकि उनकी विशिष्ट स्थिति डेटा में कम करके आंकी जाती है।’