कृषि निर्यात क्लस्टर पर होगा 18 हजार करोड़ का निवेश: शिवराज सिंह चौहान

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नई दिल्ली। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार कृषि के लिए 100 निर्यात क्लस्टर बनाने पर 18,000 करोड़ रुपये निवेश करेगी। उन्होंने कहा कि दलहन उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सरकार ने 6,800 करोड़ रुपये निवेश से दलहन मिशन की योजना बनाई है।

संसद में मंत्रालय के कामकाज पर हो रही चर्चा का जवाब देते हुए चौहान ने कहा कि जलवायु के अनुकूल कृषि व्यवस्था बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार तेजी से देश भर में 50,000 जलवायु अनुकूल गांव विकसित कर रही है। साथ ही बीज की 1,500 नई किस्में भी विकसित की जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी डिजिटल पहचान दी जाएगी, सरकार इस पर काम कर रही है। चौहान ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि वह किसानों को वोट बैंक के रूप में देख रही है।

उन्होंने कहा, ‘कौन कहता है कि कृषि क्षेत्र में समस्या नहीं है, लेकिन इसका समाधान भी है। कृषि मंत्रालय जटिल मसलों का समाधान निकालने के लिए किसानों व कृषक संगठनों सहित हर किसी से बात करेगी।’

इसके जवाब में विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि चौहान झूठ बोल रहे हैं और राज्य सभा को गुमराह कर रहे हैं। कांग्रेस ने कहा कि चौहान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है।

कांग्रेस ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान झूठ बोलते रंगे हाथ पकड़े गए हैं। मोदी सरकार ने 6 फरवरी, 2015 को उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल करके कहा था कि लागत में 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर भारत के किसानों को नहीं दिया जा सकता क्योंकि इससे बाजार खराब हो जाएगा।’

कांग्रेस ने कहा कि कृषि मंत्री चौहान ने सदन में कहा है कि सरकार जरूरत पड़ने पर किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीदती है, इसका मतलब यह हुआ कि सरकार ने स्वीकार किया है कि अगर उसे जरूरी नहीं लगता है तो वह न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की फसल नहीं खरीदेगी।

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि देश और सदन को गुमराह करने को लेकर चौहान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला भी उठाया जाएगा।

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि चौहान ने दावा किया है कि खाद की कीमत 10 रुपये कम की गई है, जो पूरी तरह झूठ है।

बहरहाल चौहान ने नरेंद्र मोदी सरकार का दृष्टिपत्र पेश करते हुए कहा कि सरकार एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण (ओएचए) पर काम कर रही है, जिसमें मनुष्य, पशु, पौधों और पर्यावरण के स्वास्थ्य के बीच अंतर्संबंधों पर जोर दिया गया है।