त्योहारी मांग निकलने से चना तथा चना दाल की कीमतों में तेजी का दौर शुरू

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नई दिल्ली। त्यौहारी सीजन के विधिवत आरंभ होने से पूर्व ही घरेलू बाजार में साबुत चना तथा चना दाल की कीमतों में तेजी का सिलसिला शुरू हो गया है। पिछले एक माह के दौरान इसके दाम में 10 प्रतिशत तक का उछाल आ चुका है।

मिलर्स-प्रोसेसर्स द्वारा चना की अच्छी खरीदारी का प्रयास किया जा रहा है जबकि आपूर्ति एवं उपलब्धता कम बताई जा रही है। चना दाल एवं बेसन का उपयोग अनेक खाद्य पदार्थों एवं मिठाइयों आदि के निर्यात में किया जाता है। व्यापार विश्लेषको के अनुसार आगामी समय में भी चना का भाव मजबूत रहने की संभावना है। दूसरी ओर गत एक माह के अंदर तुवर दाल के दाम में करीब 5 प्रतिशत की गिरावट आई है।

शीर्ष व्यापारिक संस्था- इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) के अनुसार चना के मूल्य में आगामी समय के दौरान भी तेजी-मजबूती का माहौल बना रह सकता है क्योंकि इसमें नियमित रूप से त्यौहारी सीजन की मांग बनी रहेगी, आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल बनी हुई है।

विदेशों से आयात सीमित में हो रहा है। सरकार के पास भी इसका विशाल स्टॉक नहीं है और स्टॉकिस्ट अपने माल को बेचने में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं। भारी मात्रा में पीली मटर का हुआ आयात भी चना की कीमतों को नीचे लाने में कारगर साबित नहीं हो रहा है जबकि सरकार को इसकी उम्मीद थी।

हालांकि चना के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति पहले ही दी जा चुकी है मगर प्रमुख निर्यातक देशों में अधिशेष स्टॉक बहुत कम बचा हुआ है। अकोला के एक प्रोफ़ेसर का कहना है कि पीली मटर का विशाल आयात चना को विस्थापित नहीं कर सका। हालांकि पीली मटर की मांग एवं खपत बढ़ी मगर मगर चना की मांग अपनी जगह स्थिर रही।

लेकिन यदि सितम्बर तक अफ्रीका एवं ऑस्ट्रेलिया से देसी चना का आयात बढ़ता है तो इसके घरेलू बाजार मूल्य में जोरदार तेजी की संभावना कम रहेगी। घरेलू बाजार भाव ऊंचा होने से विदेशों से इसके आयात को प्रोत्साहन मिल रहा है लेकिन भारत की जोरदार मांग के कारण मुक्त आयात की समय सीमा 31 अक्टूबर 2024 से आगे बढ़ाने के संकेत दिए हैं जबकि नैफेड को अपने स्टॉक का चना घरेलू बाजार में उतारने की स्वीकृति मिल चुकी है।

पिछले एक माह के अंदर अकोला में तुवर दाल का भाव 700 रुपए या 4.2 प्रतिशत घटकर मिल स्तर पर 15,800 रुपए प्रति क्विंटल रह गया मगर फिर भी यह गत वर्ष से 9 प्रतिशत ऊंचा है।