नई दिल्ली। पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान दोनों प्रमुख तिलहन फसलों सोयाबीन एवं मूंगफली के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है। इसके फलस्वरूप अरंडी एवं तिल की बिजाई घटने के बावजूद तिलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 165.37 लाख हेक्टेयर से 6.30 लाख हेक्टेयर बढ़कर इस बार 171.67 लाख हेक्टेयर पर पर पहुंच गया। सूरजमुखी एवं नाइजरसीड की बिजाई में वृद्धि हुई है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2023 के मुकाबले 2024 के खरीफ सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 117 लाख हेक्टेयर से उछलकर 121.75 लाख हेक्टेयर तथा मूंगफली का बिजाई क्षेत्र 36.10 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 41.05 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
इसी तरह सूरजमुखी का क्षेत्रफल 46 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 60 हजार हेक्टेयर तथा नाइजरसीड का रकबा 9 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 22 हजार हेक्टेयर हो गया। दूसरी ओर तिल का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 8.94 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 7.32 लाख हेक्टेयर तथा अरंडी का बिजाई क्षेत्र 2.76 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर मात्र 72 हजार हेक्टेयर पर सिमट गया।
राजस्थान मूंगफली एवं सोयाबीन का एक अग्रणी उत्पादक राज्य है। वहां पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान मूंगफली का उत्पादन क्षेत्र तो 7.97 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 8.41 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा। मगर सोयाबीन का बिजाई क्षेत्र 11.42 लाख हेक्टेयर से गिरकर 10.97 लाख हेक्टेयर तथा तिल का क्षेत्रफल 2.27 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 1.94 लाख हेक्टेयर रह गया।
इतना ही नहीं बल्कि राजस्थान में अरंडी का रकबा भी 1.24 लाख हेक्टेयर से घटकर 35 हजार हेक्टेयर पर अटक गया। गुजरात में मूंगफली एवं सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र बढ़ा है मगर तिल का रकबा घट गया है। अरंडी की बिजाई अब जोर पकड़ने लगी है।