सुख और दुःख सब पूर्व जन्मों का प्रारब्ध होता है: आदित्य सागर मुनिराज

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कोटा। कोई जन्म से सुखी तो, कोई जन्म से दुखी होता है। जन्म लेते ही कोई चांदी की चम्मच पाता है तो, किसी को पालना भी नहीं मिलता है। कोई जन्म के साथ ही करोड़पति तो कोई गरीबी की साये में आंख खोलता है। यह सब पूर्व जन्मों के प्रारब्ध ही होते हैं ।

यह बात आदित्य सागर जी मुनिराज ने चंद्र प्रभु दिगम्बर जैन मंदिर समिति द्वारा आयोजित नीति प्रवचन में कही। मुनिराज ने कहा कि हम इस संसार में न खाली हाथ आते हैं, न खाली हाथ जाते हैं। पिछले जन्म के कर्मों व संस्कार को हम लेकर आते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा न होता तो सीता हरण, राम वनवास, सीता वियोग, ऋषभ देव जी को भूखा न घूमना पडता।

उन्होंने कहा कि कुण्ड​लियां मात्र अच्छा या बुरा बताती हैं। उन्हें यथार्थ करना या बदलने के लिए पुरूषार्थ करना होता है। भगवान की भक्तिभाव से इस संसार में हर बाधा को दूर कर सकते हो। उन्होंने कहा कि यदि हमने धन कमाया है, तो दान अवश्य करें।

क्योंकि धन उतना ही बचता है, जितना भाग्य में लिखा है। यदि आप ने अधिक कमा भी लिया तो वह वैसे ही चला जाएगा। जन्म से ही दान देने, धैर्य, सही व गलत चुनने का ज्ञान आपके अंदर है तो यह पूर्व जन्म के संस्कारों से ही संभव है।