थोक महंगाई जून में बढ़कर 16 महीने के उच्च स्तर 3.36 प्रतिशत पर पहुंची

0
26

नई दिल्ली। Wholesale Inflation Rate: देश में थोक महंगाई जून में बढ़कर 16 महीने के उच्च स्तर 3.36 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से खाने की चीजों, खासकर सब्जियों और निर्मित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई।

यह लगातार चौथा महीना था जब महंगाई में बढ़ोतरी देखी गई। मई में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर 2.61 प्रतिशत थी। पिछले साल जून 2023 में यह (-) 4.18 प्रतिशत थी।

थोक महंगाई फरवरी 2023 में 3.85 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी। कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने सोमवार को कहा कि जून 2024 में महंगाई दर बढ़ने का मुख्य कारण खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, और अन्य की कीमतों में वृद्धि है।

  1. खाद्य पदार्थों की महंगाई जून में 10.87% हो गई, जो मई में 9.82% थी।
  2. सब्जियों की महंगाई जून में 38.76% हो गई, जो मई में 32.42% थी।
  3. प्याज के दाम 93% और आलू के दाम 66% तक बढ़ गए।
  4. दालों की महंगाई 21.64% बढ़ी।
  5. फलों की महंगाई 10.14%, अनाज की 9.27%, और दूध की 3.37% रही।

ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जून 2024 में WPI महंगाई में यह वृद्धि लगभग हर प्रोडक्ट में हुई, जिसमें ईंधन और बिजली को छोड़कर सभी प्रमुख क्षेत्रों में बढ़ोतरी देखी गई।

आगे की बात करें तो अदिति नायर का कहना है कि जुलाई 2024 में थोक महंगाई दर घटकर लगभग 2% रह सकती है। इसकी दो वजह हैं – पिछले साल के आंकड़ों का फायदा और दुनियाभर में कच्चे माल की कीमतों में थोड़ी कमी। तेल की कीमतों के बारे में उन्होंने कहा कि जुलाई 2024 में अब तक भारतीय कच्चे तेल की औसत कीमत बहुत अस्थिर रही है। यह मांग और सप्लाई के बीच असंतुलन के कारण है। 11 जुलाई तक यह $86.6 प्रति बैरल था, जो पिछले महीने से ज्यादा है।

अगर तेल महंगा होता है, तो थोक महंगाई भी बढ़ सकती है। ईंधन और बिजली के दाम अभी तक ज्यादा नहीं बढ़े हैं, लेकिन कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के दाम 12.55% बढ़ गए। जून में बनी हुई चीजों के दामों में भी बढ़ोतरी देखी गई। निर्मित उत्पादों में महंगाई दर जून में 1.43% रही, जो मई के 0.78% से अधिक है।

पिछले हफ्ते जारी आंकड़ों के अनुसार, जून में खुदरा महंगाई बढ़कर चार महीने के उच्च स्तर 5.1% पर पहुंच गई। गौर करने वाली बात है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अपनी मौद्रिक नीति बनाते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई को ध्यान में रखता है।