बिजाई क्षेत्र बढ़ने एवं क्रशिंग मिलों की कमजोर मांग से सोयाबीन मंदी रही

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नई दिल्ली। विदेशों से अच्छी मात्रा में सस्ते सोया तेल का आयात होने तथा शुरूआती रुझान में बिजाई क्षेत्र बढ़ने का संकेत मिलने से 5-11 जुलाई वाले सप्ताह के दौरान सोयाबीन का मिल डिलीवरी भाव तीनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान में 50 -100 रुपए प्रति क्विंटल नरम पड़ गया।

मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में इसका दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (4600 रुपए प्रति क्विंटल) से काफी नीचे आ गया। महाराष्ट्र में कुछ इकाइयों के लिए दाम इसके आसपास देखा गया। लूज रूप में सोयाबीन की कीमत घटकर 4000 रुपए प्रति क्विंटल से भी नीचे आ गई। इसे देखते हुए विश्लेषकों ने इस महत्वपूर्ण तिलहन के उत्पादन क्षेत्र में गिरावट आने की संभावना व्यक्त की है।

सोया तेल
सोया रिफाइंड तेल के दाम में भी 20 से 40 रुपए प्रति 20 किलो की गिरावट आई। मध्य प्रदेश के देवास, मंदसौर, पीथमपुर एवं उज्जैन की इकाइयों ने दाम घटाकर सोया रिफाइंड तेल की बिक्री की। यही स्थिति महाराष्ट्र के धुलिया, हिंगोली, लातूर, नागपुर एवं नांदेड आदि में भी देखी गई। राजस्थान के कोटा में भाव 15 रुपए गिरकर 940 रुपए प्रति 10 किलो रह गया। इसी तरह कांडला एवं हल्दिया में दाम 20-20 रुपए गिरकर 940 रुपए पर आ गया।

आवक
राष्ट्रीय स्तर पर मंडियों में 5 जुलाई को 1.25 लाख बोरी, 8 जुलाई को 2.40 लाख बोरी, 10 जुलाई को 2.20 लाख बोरी तथा 11 जुलाई को 2.10 लाख बोरी सोयाबीन की आवक हुई। मालूम हो कि सोयाबीन की प्रत्येक बोरी 100 किलो (1 क्विंटल) की होती है।

डीओसी
सोयाबीन का भाव कमजोर पड़ने से सोया डीओसी के दाम में भी नरमी देखी गई। इसकी घरेलू एवं निर्यात मांग लगभग सामान्य रही। सोयाबीन की बिजाई जारी है लेकिन घटते भाव को देखते हुए इसकी खेती में किसानों का आकर्षण घट सकता है।