राजस्थान की भजन सरकार देगी उपभोक्ताओं को बिजली का झटका, जानिए क्या है मामला

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जयपुर। Electric Shock: राजस्थान में फ्री बिजली योजना बंद हो सकती है। दरअसल, राज्य सरकार की ओर से विधानसभा में विधायकों के प्रश्नों दिए गए जवाबों से इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि उपभोक्ताओं को बिजली में करंट का झटका लग सकता है।

बता दें कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ने चुनावी वर्ष में प्रदेश के घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट व कृषि उपभोक्ताओं को 2000 यूनिट तक नि:शुल्क बिजली देने की घोषणा की थी, इससे प्रदेश के करोड़ों बिजली उपभोक्ताओं को बिजली के बिल में राहत मिल रही है, लेकिन पहले से ही घाटे में चल रही सरकारी बिजली कपनियों का संचित घाटा एक लाख, 7 हजार, 655 करोड़ के ऊपर पहुंच गया है।

इसमें से अकेले 2022-23 वर्ष का घाटा 8824.43 करोड़ का है। यह जानकारी खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल की ओर से विधानसभा में लगाए गए सवाल के जवाब में सरकार ने दी है। अशोक गहलोत सरकार के दौरान शुरू की गई योजना के तहत घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली दी गई। इसके कारण वर्ष 2023 तक 69.88 लाख से अधिक घरेलू उपभोक्ताओं और 10.09 कृषि उपभोक्ताओं का बिजली का बिल शून्य आया।

इसके अलावा प्रदेश के 1.20 करोड़ से अधिक घरेलू उपभोक्ताओं और 17.74 लाख से अधिक कृषि उपभोक्ताओं को बिजली के बिल में बड़ी राहत मिली हैं। हालांकि, इस योजना से जनता को भले ही फायदा हुआ हैं, लेकिन सरकारी बिजली कंपनियों को करोड़ों रुपए का नुकसान भी जरूर हुआ हैं।

मुफ्त बिजली योजना के कारण भले ही आमजन को बिल में राहत मिली हैं, लेकिन मुफ्त बिजली बिजली कंपनियों के लिए घाटे का सौदा बन गई हैं। अब इस घाटे को पाटने के लिए बिजली कंपनियां जनता से बिजली के बिल में सर चार्ज और फ्यूल चार्ज के जरिए राशि वसुल रही हैं। बिजली कंपनियों की ओर से जो अतिरिक्त चार्ज वसूला जाता है, वह उपभोक्ता के मूल बिल से भी अधिक होता हैं। ऐसे में बिजली कंपनियां अपने घाटे की भरपाई लोगों के बिल पर सर चार्ज और फ्यूल चार्ज लगाकर कर रही हैं।

बिजली कंपनियों में घाटे का खेल गहलोत सरकार के दौरान शुरू हुआ। इस दौरान गहलोत सरकार ने खुद को रिपीट करवाने के उद्देश्य से लोगों को लुभाने के लिए बिजली की मुफ्त योजना शुरू की। इसके तहत घरेलू कनेक्शन पर लोगों को 100 यूनिट और कृषि कनेक्शन पर 2000 यूनिट तक बिजली निशुल्क देने की योजना शुरू की।

हालांकि, गहलोत सरकार की इस योजना से आम लोगों को फायदा मिल रहा हैं, लेकिन पहले से घाटे में चल रही सरकारी बिजली कंपनियों का घाटा 1 लाख 7 हजार 655 करोड़ रुपए के ऊपर पहुंच गया हैं। इस आंकड़े का खुलासा खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल की ओर से सदन में पूछे गए सवाल के बाद हुआ। इसके जवाब में पता चला कि वर्ष 2022-23 में बिजली का घाटा 8824.43 करोड रुपए का था।