नई दिल्ली। Red Chilli Price: दक्षिण भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों में लालमिर्च के नए पुराने माल की भारी आवक होने तथा खरीदारों की सक्रियता कम रहने से कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है।
घटते भाव को देखते हुए खरीदार सावधान हो गए हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि कीमतों में कुछ और नरमी आ सकती है। बाजार के स्थिर होने का इंतजार कर रहे हैं। हाल के दिनों में इस महत्वपूर्ण मसाले की कीमत कमजोर पड़ी है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं कर्नाटक की मंडियों में लालमिर्च की अच्छी आवक होने लगी है।
गुंटूर लालमिर्च की आवक बढ़ते हुए 1.25-1.50 लाख बोरी तक पहुंच गई है। मध्य प्रदेश में नई फसल की तुड़ाई-तैयारी में 10 – 15 दिनों की देर हुई लेकिन बाद में इसकी रफ्तार बढ़ गई।
आंध्र प्रदेश की गुंटूर मंडी में पिछले कुछ दिनों के अंदर लालमिर्च के दाम में 1000 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई जिससे 334 नम्बर का भाव 14,000-16,000 रुपए प्रति क्विंटल तथा 341 नम्बर का दाम 13000-17000 रुपए प्रति क्विंटल रह गया।
तेजा वैरायटी का मूल्य भी 1500 रुपए की गिरावट के साथ 16,500-21,000 रुपए पर आ गया। इधर तेलंगाना के वारंगल में तेजा का दाम 2000-2500 रुपए घट गया।
लालमिर्च के बिजाई क्षेत्र में तो इजाफा हुआ मगर मौसम अनुकूल नहीं होने से औसत उपज दर में गिरावट आने के संकेत मिल रहे हैं। गुंटूर तथा वारंगल समेत अन्य उत्पादक क्षेत्रों के कोल्ड स्टोरेज में लालमिर्च का बकाया स्टॉक मौजूद है।
इस बार नई फसल की क्वालिटी कुछ कमजोर बताई जा रही है। मुस्लिम बहुल देशों में रमजान का महीना चल रहा है जिससे लालमिर्च की खपत में वृद्धि हो रही है। समझा जाता है कि ये देश पहले ही अच्छी मात्रा में आयात कर चुके हैं।
इधर घरेलू प्रभाग में जाड़े का सीजन खत्म होने के बाद मौसम गर्म होने लगा है जिससे लालमिर्च की मांग कमजोर पड़ने की संभावना है। निकट भविष्य में लालमिर्च के दाम में भारी तेजी आने की उम्मीद कम है।