आयातित तुवर के लिए मूल्य सीमा निर्धारित कर सकती है सरकार

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नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने दाल-दलहन क्षेत्र से जुड़े सभी पक्षों को आगाह किया है कि घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाए जा सकते हैं और आयातित तुवर के लिए मूल्य सीमा निर्धारित की जा सकती है। सरकार तुवर की आपूर्ति पर म्यांमार एवं मोजाम्बिक के वर्चस्व से काफी चिंतित है और आयात की वैकल्पिक अवस्था पर ध्यान दे रही है।

दरअसल उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ आयोजित एक बैठक में उपभोक्ता मामले सचिव ने उद्योग को सख्त कदम उठाने के प्रति आगाह करते हुए कहा था कि सामान्य लाभ के साथ नियमित कारोबार होना चाहिए।

इस पर सरकार को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन यदि माल का स्टॉक रोककर बाजार भाव में कृत्रिम (अप्राकृतिक) तेजी लाने का मनमाना प्रयास किया गया तो उसे बर्दाश्त करना कठिन होगा। तुवर के दाम में जिस तरह तेजी-मजबूती का रुख बना हुआ है उससे सरकार ‘अपसेट’ है। म्यांमार एवं मोजाम्बिक जैसे निर्यातक देश भारत की मजबूरी का नाजायज फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। वहां से तुवर की कम आपूर्ति हो रही है।

उल्लेखनीय है कि साबुत एवं गैर प्रसंस्कृत तुवर का भाव दिसम्बर 2023 में गिरकर 85-90 रुपए प्रति किलो पर आ गया था जो 2022 के उच्च स्तर 120 रुपए प्रति किलो से काफी कम था क्योंकि उस समय पुराना स्टॉक लगभग खत्म हो गया था और नई फसल की आवक शुरू नहीं हुई थी।

जनवरी 2024 से तुवर का दाम पुनः बढ़ना शुरू हो गया और अब यह 103-105 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है। उद्योग समीक्षकों का कहना है कि उच्चतम आयात मूल्य (मिप) का निर्धारण होने पर अनेक चुनौतियां उत्पन्न होंगी और तुवर का आयात प्रभावित होगा।

अफ्रीका से 1000 डॉलर प्रति टन की दर से खरीदे गए तुवर को लादकर जहाज भारत के लिए प्रस्थान कर चुके हैं। यदि उस पर 1000 डॉलर प्रति टन से कम का मिप लागू हुआ तो भारी नुकसान हो जाएगा।