मुम्बई। मांग तथा आपूर्ति के संतुलन में जटिलता के कारण आगामी समय में रूई का वैश्विक बाजार भाव कुछ और ऊंचा तथा तेज होने की संभावना है। वर्ष 2024 के आरंभ से अब तक इसमें 15 प्रतिशत से अधिक की तेजी आ चुकी है जबकि आगे भी इसमें मजबूती बरकरार रह सकती है।
इससे भारत को रूई का निर्यात बढ़ाने का अच्छा अवसर मिल सकता है। 2022-23 के मार्केटिंग सीजन में देश से रूई का निर्यात घटकर 15.50 लाख गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) के निचले स्तर पर आ गया था जबकि 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में यह 20 लाख गांठ तक पहुंच सकता है।
न्यूयार्क स्थित इंटरकांटीनेंटल एक्सचेंज (आई सी ई) में फ़िलहाल रूई का वायदा भाव बढ़कर पिछले डेढ़ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक सटोरिया लिवाली से बाजार में तेजी आई है जबकि इसकी मांग भी मजबूत बनी हुई है।
आई सी ई में मई अनुबंध के लिए रूई का वायदा भाव बढ़कर 94.42 सेंट प्रति पौंड (62,150 रुपए प्रति कैंडी) पर पहुंच गया है जबकि मुम्बई नियत एमसीएक्स में भी यही भाव चल रहा था।
उधर गुजरात के राजकोट में शंकर – 6 रूई का दाम 57,900 रुपए कैंडी (356 किलो) बताया जा रहा है जबकि यह निर्यात के लिए बेंचमार्क क्वालिटी की रूई होती है।
राजकोट कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) के परिसर यानी मंडी में और प्रसंस्कृत रूई अथवा कपास का मॉडल मूल्य (जिस भाव पर सर्वाधिक कारोबार होता है) 7025 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया जो गत सप्ताह के भाव से 500 रुपए ज्यादा है।
अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2024 में रूई का वायदा भाव बढ़कर गत 4 माह के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया था। इस समय यह 88 सेंट प्रति पौंड (57,500 रुपए प्रति कैंडी) के आसपास चल रहा था।
अमरीका से जनवरी में रूई की भारी बिक्री हुई जबकि वहां इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल बनी हुई थी। दिसम्बर 2023 की तुलना में जनवरी का भाव 8 सेंट ऊंचा रहा। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सटोरिया लिवाली के कारण रूई का भाव बढ़कर भारत से ऊंचा हो गया है जिससे इसकी निर्यात मांग बढ़ने लगी है।
इसे देखते हुए भारतीय किसानों ने गत वर्ष की भांति इस बार भी अपना कपास का स्टॉक रोकना शुरू कर दिया है। ऐसा प्रतीत होता है कि वैश्विक बाजार की तर्ज पर भारतीय बाजार में भी रूई का भाव बढ़ सकता है।