कोटा संभाग में कोटा जिले की कोटा उत्तर, कोटा दक्षिण, लाडपुरा और झालावाड़ जिले की जिस झालरापाटन सीट को सबसे ज्यादा अहम माना जाता है, वहां अभी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं होने के कारण सीधे मुकाबले तय नहीं हो पाये हैं। सबसे अहम मानी जाने वाली कोटा उत्तर विधानसभा सीट पर तो अभी तक भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपने प्रत्याशी तय नहीं किए हैं। जबकि लाडपुरा, कोटा दक्षिण में भाजपा के प्रत्याशी तो अब मैदान में हैं। झालरापाटन में भाजपा से श्रीमती वसुंधरा राजे का लड़ना तो तय है लेकिन कांग्रेस से कौन अपना भाग्य आजमाएगा, इसकी सुगबुगाहट तक नहीं है।
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। Kota division Assembly seats: राजस्थान के कोटा संभाग की 17 विधानसभा सीटों में से गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की तीसरी सूची घोषित हो जाने के बाद अब संभाग की झालरापाटन कोटा उत्तर, कोटा दक्षिण और लाडपुरा जैसी अहम सीटों सहित करीब आधा दर्जन सीटों को छोड़कर शेष अन्य सीटों पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच मुकाबले की स्थिति स्पष्ट हो गई है।
चुनावी मुकाबला कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच ही होता आया है। वर्तमान की दलीय स्थिति के अनुसार भी पिछले विधानसभा चुनाव में इन्हीं दोनों दलों के बीच मुख्य मुकाबला होने के कारण सीटों का बंटवारा भी कांग्रेस एवं भाजपा में ही हुआ था।
तब संभाग की 17 सीटों में से कांग्रेस के खाते में 7 भाजपा के खाते में 10 सीटें गई थी जिसमें से कोटा जिले में कांग्रेस व भाजपा को तीन-तीन, बूंदी जिले में कांग्रेस को एक, भाजपा को दो तो बारां जिले में कांग्रेस को तीन, भाजपा को एक और झालावाड़ जिले में सभी चारों सीटों पर भाजपा के खाते में गई थी जहां से निर्वाचित विधायकों में पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे (झालरापाटन) शामिल थी।
कांग्रेस अब तक जारी प्रत्याशियों की पांच सूचियों में 10 और भाजपा तीन सूचियों में 14 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर चुकी हैं। कांग्रेस के 7 तो भाजपा के 3 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा होना बाकी है।
कोटा जिले में कोटा उत्तर, कोटा दक्षिण, लाडपुरा में अभी दोनों दलों में मुकाबला तय नहीं हुए हैं। क्योंकि कोटा उत्तर में दोनों ही दलों ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। जबकि भाजपा ने लाडपुरा से गुरूवार को जारी सूची में श्रीमती कल्पना देवी और रामगंजमंडी से मदन दिलावर को सूची में फ़िर से जगह दी है जो मौजूदा विधायक भी हैं। लेकिन कांग्रेस ने कोटा दक्षिण, लाडपुरा और रामगंजमंडी सीटों पर अभी अपने प्रत्याशियों के नाम तय नहीं किए हैं।
कोटा जिले की दृष्टि से सबसे चर्चित सीट कोटा उत्तर है, जहां से वर्तमान में मौजूदा राज्य सरकार के सबसे प्रभावशाली मंत्री नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल विधायक हैं, जो पिछले साल 25 सितंबर को जयपुर स्थित उनके आवास पर विधायक दल की समानांतर बैठक आयोजित किए जाने के बाद कांग्रेस के अंदरूनी विवाद में आ गए थे।
पार्टी नेतृत्व उनके नाम पर गंभीरता से विचार कर रहा है। पार्टी स्तर पर इस विधानसभा सीट के संभावित दावेदारों में जिन उम्मीदवारों के नाम का पैनल केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा गया है, उसमें मौजूदा विधायक शांति धारीवाल सहित उनके पुत्र प्रदेश कांग्रेस के महासचिव अमित धारीवाल का नाम सर्वोपरि है। भाजपा ने कोटा जिले में लाडपुरा से श्रीमती कल्पना देवी को और रामगंज मंडी से मदन दिलावर को टिकट दिया है जो मौजूदा विधायक हैं। लेकिन कांग्रेस दोनों ही स्थानों पर अपने प्रत्याशी तय नहीं कर पाई है।
बारां जिले में इस बार बड़ा बदलाव देखने को मिला है, जहां अंता विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया के खिलाफ पूर्व में दो बार चुनाव लड़ चुके प्रभुलाल सैनी की जगह झालावाड़ जिले के मनोहरथाना सीट से भाजपा के विधायक रह चुके कंवरलाल मीणा को टिकट दिया है। जबकि प्रभुलाल सैनी को वापस उनके पैतृक जिला बूंदी में पुरानी सीट हिंडोली से कांग्रेस के प्रत्याशी अशोक चांदना के खिलाफ एक बार फिर से चुनाव मैदान में उतारा है। वैसे श्री सैनी अंता की जगह हिंड़ोली से चुनाव लड़ना चाहते थे।
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बारां सीट पर इस बार भाजपा ने एक नए चेहरे श्रीमती सारिका चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है, जो पूर्व में बारां जिला प्रमुख रह चुकी हैं। विधानसभा के लिए चुनाव पहली बार लड़ रही हैं। विधायक श्रीमती चंद्रकांता मेघवाल को भाजपा ने बुधवार की सूची में एक बार फिर से बूंदी जिले की केशवरायपाटन सीट से प्रत्याशी बनाया है। वे इस बार वापस कोटा जिले की रामगंजमंडी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहती थी।
लेकिन रामगंजमंडी में भाजपा ने एक बार फिर से मौजूदा विधायक मदन दिलावर पर ही विश्वास जताया है। वैसे श्री दिलावर पर भी यहां बाहरी होने का ठप्पा लग चुका है। क्योंकि वे मूल रूप से बारां जिले के अटरू क्षेत्र के रहने वाले हैं। वर्ष 1990 से अटरू विधानसभा सीट से लगातार चार बार विधायक रह चुके हैं।
वर्ष 2008 में हार के बाद उन्हें वहां से प्रत्याशी नहीं बनाया। पिछले चुनाव में मदन दिलावर को रामगंजमंडी से भाजपा की तत्कालीन विधायक श्रीमती चंद्रकांता मेघवाल का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया था और मदन दिलावर रामगंज मंडी से चुनाव जीतने में कामयाब भी हो गए थे।