एनएमसी के बदले नियमाें से नए जिलाें में मेडिकल काॅलेज खुलने में फंसा पेच

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कोटा। New Medical College: एनएमसी के नए नियमाें से प्रदेश में नए बने जिलाें में मेडिकल काॅलेज खुलने में पेंच फंस गया है। यदि 10 लाख से कम जनसंख्या वाले जिले में मेडिकल काॅलेज खुलने की अनुमति नहीं मिलेगी। ऐसे में नए बने 17 और पुराने 6 जिलाें में भी काॅलेज खुलने की संभावना नहीं रही। प्रदेश में अभी 26 जिलाें में सरकारी मेेडिकल काॅलेज हैं।

जबकि 7 जिलाें में काॅलेज खुलने की प्रक्रिया चल रही है। संभाग के बारां जिले में अगले सत्र में मेडिकल काॅलेज काे एनएमसी से लेटर ऑफ परमिशन मिलने की उम्मीद है। क्योंकि, यहां काफी काम हाे चुका है। साथ ही एनएमसी ने 15 किलाेमीटर दायरे में नए काॅलेज खाेलने पर राेक हटा दी है।

नए नियम

  • सत्र 2024-25 में केवल 50, 100 और 150 सीटों की अनुमति मिल पाएगी।
  • 100 सीट के लिए कम से कम 800 बेड का अस्पताल।
  • काॅलेज और अस्पताल के बीच अधिकतम 30 मिनट की दूरी।
  • 50 सीट के लिए 200 ताे 250 सीट के लिए प्रतिदिन 2 हजार ओपीडी अनिवार्य।
  • 4 से लेकर 11 ओटी अनिवार्य।
  • 10 स्टूडेंट्स पर प्रतिवर्ष एक शव।

इसलिए बनाए ऐसे नियम
मेडिकल एजुकेशन एक्सपर्ट डाॅ. अनुराग मेड़तवाल के अनुसार कुछ बरसाें में अधिकांश काॅलेज 10 लाख से कम की जनसंख्या पर भी खाेेले गए हैं। लगातार खाेले जा रहे काॅलेज पर नियंत्रण के लिए एनएमसी ने ऐसा ड्राफ्ट तैयार किया है। आईएमए के डाॅ. केके डंग का कहना है कि नए काॅलेज काे न्यूनतम मानकाें की पूर्ति करने पर ही अप्रूवल मिले।

सरकार का विजन अच्छा है
नए काॅलेज खाेलें, अच्छी बात है, लेेकिन ये स्टाफ के स्टैंडर्ड भी पूरे करें। क्वालिटी एजुकेशन पर ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि, सरकार का विजन अच्छा है। 2014 तक केवल 380 मेडिकल काॅलेज थे। पिछले 9 साल में 326 मेडिकल काॅलेज खुले हैं। हर माह एक नया मेडिकल काॅलेज खुला है। –डाॅ. अशाेक शारदा, पूर्व स्टेट प्रेसिडेंट, आईएमए

मान्यता में दिक्कत
बदले नियमाें से नए खुल रहे मेडिकल काॅलेजाेंं की मान्यता में दिक्कत हाे सकती है। कुछ नियम वर्तमान परिस्थितियों में पूरे करना संभव नहीं हाे रहा है। हालांकि, एनएमसी नियमाें में लचीलापन रखती हैं। – डाॅ. विजय सरदाना, पूर्व प्राचार्य, मेडिकल काॅलेज, काेटा