नई दिल्ली। गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों के लिए जल्द ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गाइडलाइंस जारी करने वाला है। इन दिशा-निर्देशों में लोन ले चुके व्यक्ति की मृत्यु के बाद सेटलमेंट, लोकल भाषा में इस नियम की जानकारी देना और नीलामी के बाद सरप्लस अमाउंट के रिफंड से संबंधित जानकारी दी जाएगी।
इसके अलावा माना जा रहा है कि आरबीआई इस गाइडलाइन में बीपी कानूनगो समिति की सिफारिशों को भी शामिल कर सकता है। एक्सपर्ट का कहना है कि इस समिति की रिपोर्ट को कस्टमर सर्विस स्टैंडर्ड्स के अनुरुप है, जिससे गोल्ड लोन पॉलिसी पर भरोसा बढ़ेगा।
क्या है कानूनगो कमेटी: बीपी कानूनगो रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर थे। इनकी अध्यक्षता में मई 2022 में एक कमेटी की स्थापना हुई थी। इस कमेटी ने कस्टमर सर्विस स्टैंडर्ड्स को और अच्छा बनाने के लिए कुछ सिफारिशें की थी।
इन सिफारिशों में ग्राहक के हितों को ध्यान में रखते हुए कस्टमर सर्विसेज की समीक्षा करने की बात कही गई थी। कमेटी की रिपोर्ट में गोल्ड लोन कंपनियों के लोन और एडवान्सेज पर भी एक प्रस्ताव दिया गया है। अब आरबीआई ने जनता से इस प्रस्ताव पर 7 जुलाई तक राय मांगी है।
मृत्यु पर क्या है नियम: कानूनगो समिति ने एक बड़ी ही महत्वपूर्ण नियमों के बारे में सिफारिश दी है। इसके मुताबिक अगर लोन लेने वाले व्यक्ति की किसी कारण से मृत्यु हो जाती है तो उनके नॉमिनी या कानूनी वारिस को एक कंपनी के तरफ से एक नोटिस भेजा जाएगा। इस नोटिस में नॉमिनी को बाकी के बचे लोन के सेटलमेंट के लिए कहा जाएगा। कंपनी अगर गिरवी रखे गोल्ड की नीलामी करती है तो कंपनी को इस नोटिस का रिकॉर्ड रखना होगा।
नॉमिनी का रजिस्ट्रेशन जरूरी: कानूनगो कमेटी की सिफारिश में यह कहा गया है कि गोल्ड की नीलामी के वक्त नॉमिनी को कंनपी द्वारा फेयर कोड प्रैक्टिसेज के तहत नोटिस भेजा जाना चाहिए।
नियम और शर्तों की जानकारी: गोल्ड लोन लेने वाला व्यक्ति अधिकतम मध्यम और निम्न इनकम वाले होते हैं। ज्यादातर लोग ग्रामीण इलाकों से होते हैं, ऐसे में कंपनियों को अपने ग्राहकों को उनकी स्थानीय भाषा में सभी नियम और शर्तों में जानकारी देनी चाहिए।