नीलामी में खरीदे खंडहर को हासिल करने के लिए 22 साल से भटक रहा है ग्रामीण

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-कृष्ण बलदेव हाडा –
कोटा। राजस्थान में कोटा जिले के एक ग्रामीण के लिए उसके अपने गांव में खंडहर पड़ा पटवार भवन सरकारी खुली नीलामी में खरीदना महंगा साबित हो रहा है। खुली नीलामी में पटवार घर खरीद कर लगाई गई बोली का नियमानुसार एक-चौथाई हिस्सा नकद में सरकारी कोष में जमा करवाए जाने के 22 साल बाद भी आज भी वह ग्रामीण शेष राशि को जमा करवा कर नीलामी बोली में खरीदे गए पटवार घर के खंडहरनुमा इमारत को अपने कब्जे में लेने के लिए दर-दर भटक रहा है।

वह गांव के पटवारी से लेकर कलक्टर तक अपनी फरियाद कर चुका है। उसकी तरफ से स्थानीय कांग्रेस विधायक भी लगातार पिछले तीन सालों से उसे उसका हक दिलवाने के लिए प्रयासरत है लेकिन जवाबदेह प्रशासन देने का दावा करने वाली राज्य सरकार के अधिकारियों पर कोई असर नहीं हो रहा है।

असल में सांगोद क्षेत्र में कनवास इलाके के कुराड़ गांव निवासी गजानंद किराड़ ने सरकारी नीलामी में वर्ष 2001 में खंडहर पटवार घर को अंतिम बोली लगाकर खरीदा था और नियमानुसार हाथों-हाथ टिकट 31 हजार 525 रुपए वहां मौजूद राजस्व विभाग के कर्मचारियों को जमा करवा दिए लेकिन तब से शेष बकाया राशि जमा करवाकर पटवार घर पर कब्जा हासिल करने के लिए यह ग्रामीण गजानन ते पिछले 22 सालों से राजस्व विभाग के चक्कर काट रहा है लेकिन हर बार उसके आवेदन कोई न कोई आपत्ति दर्ज करके उसे वापस लौटा दिया जाता है।

आपत्तियों को पूरा करके भी जब भी इस ग्रामीण ने बकाया रकम जमा करवाने के लिए राजस्व विभाग के दरवाजे खटखटाये तो उसे फिर नया आपत्ति पत्र मिल गया। थक हारकर उसने करीब तीन साल पहले सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर के पास अपनी व्यथा को व्यक्त की थी।

इसके बाद सिंह ने वर्ष 2020 में 18 सितंबर को तत्कालीन कलक्टर को पत्र लिखकर कुराड निवासी ग्रामीण गजानन को नियमानुसार नीलामी में खरीदी गए पटवार भवन की बकाया राशि जमा कर वह सरकारी संपति उसे सुपुर्द करने का अनुरोध किया था लेकिन इसके बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई। भरत सिंह ने बाद में भी इस मसले पर कलक्टर सहित संपदा विभाग के उप सचिव को कई पत्र लिखे लेकिन ग्रामीण को अभी तक कब्जा नहीं मिला है।

अब सांगोद के वरिष्ठ कांग्रेस विधायक और पूर्व में कैबिनेट मंत्री रह चुके भरत सिंह कुंदनपुर में इस सरकारी अंधेरगर्दी का मसला राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष एक पत्र लिख कर उठाया है और कहा है कि अगर सरकार जवाबदेह प्रशासन देने का दावा करती है तो यह प्रशासन की कौन सी जवाबदेही है कि एक ग्रामीण अपने वाजिब हक के लिए पिछले 22 सालों से लगातार भटक रहा है और अावेदन पर अावेदन कर रहा है लेकिन हर बार उसके आवेदन पर कोई न कोई आपत्ति लगा कर उसके आवेदन को लौटा दिया जाता है।

श्री सिंह ने राजस्थान सरकार के संवेदनशील प्रशासन देने और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो हरेसमेंट की नीति अपनाने पर भी सवाल खड़े किये व मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में श्री भरत सिंह ने कहा कि एक ग्रामीण ने गांव के पटवार घर की जर्जर इमारत को नीलामी में खरीदा तो उसने क्या कसूर किया है जो विभाग उसे बार-बार चक्कर कटवा रहा है जबकि वह खुद चलकर बकाया राशि चुकाने के लिए आ रहा है।

श्री सिंह ने कहा कि एक विधायक के रूप में वे पिछले तीन साल से इस तथाकथित संवेदनशील प्रशासन के अधिकारियों को पत्र लिख रहे हैं लेकिन कोई विभागीय अधिकारी काम करने को तैयार नहीं है।

उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि इस मामले में दखल करके ग्रामीण गजानंद से नीलामी में खरीदे गए जर्जर पटवार भवन की विशेष बकाया राशि जमा करवाने के बारे में अभिलंब निर्णय करने के लिए प्रशासन को निर्देश दें।

प्रशासन का इस तरह से पत्रावली को बार-बार घुमाना सही नहीं है। श्री भरत सिंह ने कहा है कि यदि यही कार्य यह ग्रामीण भ्रष्ट तरीके अपनाकर करवाता तो उसे अब तक कब की ही यह पटवार घर की इमारत हासिल करने में सफलता मिल जाती।