कहानी सुनने, पढ़ने और लिखने से समसामयिक समझ विकसित होती है

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कोटा विश्वविद्यालय के कौशल विकास केंद्र में कहानी उत्सव आयोजित

कोटा। कोटा विश्वविद्यालय के कौशल विकास केंद्र की ओर से मंगलवार को केन्द्र परिसर में एक दिवसीय कहानी उत्सव आयोजित किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय की कंट्रोलर पूनम मेहता ने ‘स्टोरी टेलिंग: बैक टू द चाइल्डहुड’ विषय पर संबोधित किया। उन्होंने शैतानों की खोज, अनोखा दोस्त, विश्वास की जीत, मन का विभेद, स्पेशल प्राइज सरीखी मनोरंजनात्मक और शिक्षाप्रद स्वरचित कहानियां भी अनोखे ढंग से प्रस्तुत की।

उन्होंने कहा कि कहानी सुनाना, सीखने- सिखाने की सबसे पुरानी और शक्तिशाली विधि है। दुनिया भर की संस्कृतियों ने हमेशा से ही विश्वास, परंपराओं और इतिहास को भविष्य की पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए कथाओं और कहानियों का उपयोग किया है। कहानियां कल्पनाशीलता को बढ़ाती हैं। कहानी कहने और सुनने वाले के बीच समझ स्थापित करने के लिए सेतु का काम करती है। कहानी बहुसांस्कृतिक समाज में श्रोताओं के लिए समान आधार तैयार करती है।

कौशल विकास केंद्र की समन्वयक डॉ. अनुकृति शर्मा ने कहा कि कहानी सुनाने का उद्देश्य मनोरंजन के साथ साथ समसामयिक जीवन को समझना भी है। कहानी में अपनी भूमिका को देखने, पात्रों के बारे में चर्चा के माध्यम से विभिन्न परिस्थितियों को समझने का अवसर मिलता है। कहानी के माध्यम से उसी के अनुसार व्यवहार करने की समझ दीर्घकाल में विकसित करना होता है। कहानी सुनने का आनंद सर्वोच्च है। बाकी सारी चीज़ें अनायास ही एक सार्थक प्रयास से पूरी होती जाती है। मनुष्य में मौखिक भाषा के उपयोग से सिखाने, समझाने और मनोरंजन करने की स्वाभाविक क्षमता होती है। इसी कारण से कहानी का उपयोग रोजमर्रा की जिंदगी में बेहद प्रचलित है।

सह समन्वयक पायल दीक्षित ने कहा कि भारत के बहुसांस्कृतिक समाज में, कहानी स्कूलों में शिक्षण शास्त्र का एक सशक्त माध्यम हो सकती हैं। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा इस बात की अनुशंसा करती है कि स्कूली ज्ञान को समुदाय के ज्ञान से जोड़ा जाए। विभिन्न समुदायों में ज्ञान के संसाधन के रूप में प्रचलित कहानियां, स्कूल को समुदाय से जोड़ने का एक अच्छा साधन है। कहानियाँ बच्चों को समूह में चुप्पी तोड़ने, समुदाय से सीखने, कहानी लिखने, कहानी की घटनाओं पर आधारित रचनात्मक चित्र बनाने और अर्थपूर्ण सीखने के अनुभव बनाने के लिए प्रेरित करती हैं।

स्कूलों में यह महत्वपूर्ण विधा बच्चों के लिए उपयोगी शिक्षा उपकरण है। कहानी के उपयोग से विषयों में भी रोचकता आ जाती है। भाषा का कहानी कहने की कला से स्वाभाविक जुड़ाव होता है । दूसरे विषयों में भी कहानी के उपयोग से जांच पड़ताल या खोजबीन का काम किया जा सकता है। इस अवसर पर वाणिज्य विभाग की अनीता पारीक डॉ. श्रुति अरोड़ा डॉ. प्रिया चौधरी समेत शैक्षणिक व अशैक्षणिक कर्मी उपस्थित रहे।