मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भरत सिंह को एक गांव तक न दे सके

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
अलवर जिले की भिवाड़ी को छोड़कर राजस्थान में 19 नए जिले बनाने के ऐतिहासिक फैसले से कम से कम प्रदेश विधानसभा के कांग्रेस-भाजपा के 50 से भी अधिक विधायकों की नए जिले बनाने की मांग धरातल पर आने वाली है।

लेकिन आश्चर्य की बात है कि सत्तारूढ़ पार्टी के एक वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर जो पिछले कार्यकाल में अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे, की जिला या नई तहसील या पंचायत तो क्या केवल एक गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग को पूरा करवाने में यह सरकार विफल रही है।

जबकि वे यह मांग भी उस गांव को कोटा जिले में शामिल करने की की जा रही है जो तीन दशक पहले बारां जिले के गठन के समय प्रशासनिक त्रुटि की वजह से कोटा की जगह बारां जिले में सम्मिलित कर दिया गया था।

यहां बात की जा रही है बारां और कोटा जिले में कालीसिंध के किनारे कोटा जिले वाले पश्चिमी छोर में स्थित खान की झोपड़िया गांव की, जिसको कोटा जिले में शामिल करने की मांग को लेकर सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर पिछले काफी समय से लगातार पुरजोर तरीके से न केवल विधानसभा के बाहर बल्कि विधानसभा के भीतर भी उठाते आ रहे हैं।

बारां जिले के गठन के समय इस गांव को कोटा की जगह बारां जिले में शामिल कर लिया गया था। इस बारे में हाल के सालों में जब इस गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग पुरजोर तरीके से उठी तो राज्य सरकार के आदेश से संभागीय आयुक्त तक ने उसकी जांच की और इस बात को सही माना कि उस समय प्रशासनिक त्रुटि की वजह से यह गांव कोटा की जगह बारां जिले में शामिल कर लिया गया था।

इसको कोटा जिले में शामिल करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। यहां तक की 3-4 महीने पहले बारां जिले के प्रभारी मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ्ढा ने विधायक भरत सिंह के आग्रह पर खान की झोपड़्यां गांव का अवलोकन किया था तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि यह गांव बारां जिले में कैसे है? भौगोलिक दृष्टि से भी यह गांव कोटा जिले के हिस्से में आता है।

श्री सिंह ने बारां जिले के प्रभारी मंत्री से अनुरोध किया कि वे इस बात को राज्य सरकार के सम्मुख मंत्रिमंडल की बैठक के जरिए प्रस्तुत करें। खान की झोपड़ियां गांव को लेकर मूल विवाद इस गांव के नाम पर कोटा और बारां जिले में हो रहे अवैध मिट्टी-गिट्टी, पत्थर के खनन को लेकर हैं।

इस गांव के नाम से आवंटित खदाने आज अस्तित्व में भी नहीं है लेकिन इन खदानों की आड़ में कोटा और बारां जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में कई स्थानों पर अवैध रूप से राजस्व और वन भूमि को खोद-खोद पर उजाड़ते हुये अवैध खनन किया जा रहा है। इस बारे में जिला प्रशासन से लेकर खनन विभाग तक के सभी अधिकारी अच्छे से जानते हैं, लेकिन उसके बावजूद उसको रोक पाने में विफल साबित हो रहे है।

विधायक श्री सिंह विधायक के रूप में अपने इस अंतिम कार्यकाल के दौरान खान की झोपड़ियां गांव को बारां जिले की सीमा से हटाकर कोटा जिले में शामिल कराने के लिए पिछले काफी लंबे समय से संघर्षरत हैं और कई बार मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव से लेकर दोनों ही जिलों बारां और कोटा के जिला कलक्टरों और संभागीय आयुक्त के सम्मुख दस्तावेजी सबूतों के साथ अपनी मांग को रख चुके हैं, लेकिन अब तक मांग अनसुनी की जा रही है।

असल में प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तक पर अवैध खननकर्ताओं और उन्हें संरक्षण दे रहे बारां जिले के सत्तारूढ़ कांग्रेस से लेकर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का राजनीतिक दबाव काम कर रहा है। इस मामले में दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों के बारां जिले के बड़े नेता ‘एक राय’ है।

उल्लेखनीय है कि सांगोद से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह पूर्व में भी कई बार यह कह चुके हैं कि वे तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से केवल एक गांव ही मांग रहे हैं और वह गांव भी कोटा जिले का हक का है जो गलती से बारां जिले में चला गया था तो एक गांव देने में क्या जोर आ रहा है?

इसके जवाब में इस मौके पर बारां जिले की अंता विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक और प्रदेश के खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने यह कहा था कि- “भरत सिंह जी एक गांव तो क्या पूरा बारां जिला ही ले ले। मुझे तो इस पर भी कोई आपत्ति नहीं है। “