नई फसल के प्रेशर से जीरा के भाव औंधे मुंह गिरे

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ऊंझा। जीरे (Cumin) की नई फसल की आवक शुरू हो गई है। जिससे इसके दाम भी गिरने लगे हैं। बीते 10-12 दिनों में जीरा 10 फीसदी से ज्यादा सस्ता हो चुका है।

जानकारों के मुताबिक शार्ट में जीरे की कीमतों में और गिरावट आ सकती है, जबकि लंबी अवधि जीरे के दाम फिर से बढ सकते हैं क्योंकि इस साल जीरे की पैदावार कम होने का अनुमान है।

10 फीसदी से ज्यादा सस्ता हुआ जीरा
कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में इस माह 3 फरवरी को जीरे के अप्रैल कॉन्ट्रैक्ट ने 34,740 रूपये का उच्च स्तर छुआ था। यह कॉन्ट्रैक्ट खबर लिखे जाने के समय आज गिरकर 31,010 रुपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर तक चला गया।

इस दौरान मई कॉन्ट्रैक्ट 33,900 रूपये का उच्च स्तर छूने के बाद आज गिरकर 31,000 रुपये क्विंटल के निचले स्तर तक आ गया। आज इस कॉन्ट्रैक्ट के भाव में करीब 2.50 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

ओरिगो कमोडिटीज में सीनियर मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) इंद्रजीत पॉल ने बताया कि नई आवक के दबाव में बीते कुछ दिनों से जीरे के दाम गिर रहे हैं। ऊंझा मंडी में जीरे के हाजिर भाव अभी 32 हजार क्विंटल के आस पास चल रहे हैं। अगले 15 से 20 दिनों में जीरे की आवक और जोर पकडेगी।

ऐसे में भाव गिरकर 30 हजार रुपये से नीचे जा सकते हैं। एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक ऊंझा मंडी में नया जीरा आने लगा है। आगे आपूर्ति बढ़ने से इसकी कीमतों में और गिरावट आ सकती है।

जीरा उत्पादन करीब 8 फीसदी घटने का अनुमान
पॉल कहते हैं कि गुजरात में जीरे की बोआई 6 फीसदी कम हुई है। राजस्थान में प्रतिकूल मौसम के कारण इसकी उत्पादकता में कमी आने की आशंका है। ऐसे में जीरे का उत्पादन इस साल घट सकता है।

इस साल 5.80 लाख टन जीरे का उत्पादन होने का अनुमान है, जो पिछले साल के उत्पादन 6.29 लाख टन से 7.79 फीसदी कम है। पॉल ने बताया कि अभी भले ही जीरे की नई आवक से इसके दाम गिर रहे हैं। लेकिन एक बार आवक का दबाव खत्म होने के बाद जीरा फिर से महंगा हो सकता है।