नयी दिल्ली। रैपसीड खली का रिकॉर्ड निर्यात होने के कारण चालू वित्त वर्ष के पहले आठ माह (अप्रैल-नवंबर) में भारत का खली निर्यात लगभग डेढ़ गुना होकर 23.92 लाख टन हो गया। उद्योग निकाय एसईए द्वारा सोमवार को जारी ताजा आंकड़ों से यह मिली है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में देश ने 15.96 लाख टन खली का निर्यात किया था। तिलहन का उपयोग मवेशियों के चारे के रूप में किया जाता है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-नवंबर अवधि के दौरान सोयाबीन खली का निर्यात बढ़कर 3.26 लाख टन हो गया, जो कि एक साल पहले की समान अवधि में 2.19 लाख टन था।
इसी तरह चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में रिकॉर्ड 14.76 लाख टन रैपसीड खली का निर्यात हुआ, जबकि एक साल पहले की इसी अवधि में निर्यात की मात्रा सात लाख टन थी।
मूंगफली खली का निर्यात पहले के 2,005 टन से बढ़कर समीक्षाधीन अवधि में 16,536 टन हो गया, जबकि चावल भूसी खली का निर्यात समीक्षाधीन अवधि के दौरान पहले के 4.49 लाख टन के मुकाबले घटकर 3.37 लाख टन रह गया।
चालू वित्त वर्ष के पहले आठ माह में अरंडी खली का निर्यात मामूली बढ़कर 2.35 लाख टन हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 2.25 लाख टन था। मौजूदा समय में भारत, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाइलैंड और अन्य सुदूर-पूर्व के देशों को रैपसीड खली का सबसे प्रतिस्पर्धी आपूर्तिकर्ता देश है।