बेटे की पर्ची पर पिता देंगे दवाई, मेडिकल स्टोर हेल्पर का बेटा बनेगा डॉक्टर

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कोटा। दवा की दुकान पर काम करने वाले हेल्पर के लिए इससे बड़ी बात कुछ नहीं हो सकती कि एक दिन वो ऐसे पर्चे को पढ़कर दवा दे जो उसके बेटे ने लिखा हो। कुछ ऐसे ही गौरवान्वित करने वाले क्षण अब आसुराम के जीवन में भी आने वाले हैं जो कि एक दवा की दुकान पर हेल्पर है और अभी तक मालिक के कहने पर दवा निकालते हैं। आसुराम का कहना है कि यह सपना सच होने जैसा ही है, बेटे रमेश ने नीट क्लीयर कर लिया है, 636 अंक प्राप्त हुए हैं।

पिता के सपने और बेटे की मेहनत की कहानी है रमेश की सफलता। रमेश का परिवार बाड़मेर जिले की धोरीमन्ना तहसील के दाता गांव में निवास करता है। परिवार में रमेश के माता-पिता एवं दो भाई-बहिन सहित पांच सदस्य हैं। परिवार आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है। पिता आसुराम जानी करीब चार-पांच साल पहले तक हीरे की पॉलिश का काम करते थे। समय की मार पड़ी तो वो काम बंद हो गया, गांव लौट आए।

अब एक मेडिकल स्टोर पर हेल्पर का काम करते हैं। 10-12 हजार रूपए महीने कमाते हैं। कच्चा घर है, परिवार बीपीएल श्रेणी में है। कुछ समय पहले मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत प्रशासन की स्वीकृति से मात्र एक कमरा बन पाया है, शेष घर अभी भी कच्चा है। थोड़ी जमीन है, जिससे खाने लायक अनाज पैदा हो पाता है। दो साल पहले ही घर में पानी-बिजली की सुविधा आई है। मां मोहिनी देवी गृहिणी है। दाता गांव में करीब 200 घर हैं और अभी भी करीब 4-5 घंटे ही बिजली आती है। बहन बीएसटीएसी कर रही है, जबकि भाई 12वीं कक्षा में अध्ययनरत हैं।

रमेश ने बताया कि परिवार की स्थिति विपरीत थी, स्कूल की पढ़ाई और अब कॉलेज हर बात के लिए पिता को परेशान होते देखा है। मैं डॉक्टर बनकर परिवार की आर्थिक हालत को सुधारना चाहता हूं, मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट में सफलता के लिए रमेश ने लगातार कोशिश की। असफलताएं मिली लेकिन रमेश घबराया नहीं। कोटा में एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट एवं जोधपुर की स्वयंसेवी संस्था समराथल फाउंडेशन के सहयोग से नीट में सफलता प्राप्त कर सका। अब अपने गांव का पहला डॉक्टर बनूंगा। गांव के बच्चों को शिक्षा के बारे में जागरूक कर उनका सहयोग करना चाहता है।

ऐसे हुई स्कूल की निशुल्क पढ़ाई: रमेश शुरू से होनहार है। उसने 10वीं कक्षा 82 एवं 12वीं कक्षा 86 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की है। स्कूल में रमेश के मामा के परिवार के तीन बच्चे और भी पढ़ते थे। इसलिए स्कूल प्रबंधन ने रमेश की पढ़ाई को निशुल्क कर दिया। रमेश ने 12वीं कक्षा के बाद वर्ष 2019 में खुद तैयारी कर नीट का एग्जाम दिया, जिसमें उसने 720 में से 414 अंक हासिल किए। इतने कम अंकों पर मेडिकल कॉलेज मिलना संभव नहीं था, फिर एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट ने हाथ थामा, समराथल फाउण्डेशन ने भी सहयोग किया।

अंकों में लगातार सुधार : नीट 2020 में 529 और नीट 2021 में 575 अंक हासिल किए। अंकों में लगातार सुधार होने की वजह से रमेश को विश्वास था कि एक दिन उसे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल ही जाएगा। असफलताओं से उसका हौसला डिगा नहीं और उसने तैयारी करना जारी रखा। नीट 2022 में रमेश को कड़ी मेहनत का फल मिला और उसने 720 में से 636 अंक हासिल कर ऑल इंडिया रैंक 7600 प्राप्त की है।

समाज के लिए उदाहरण है
विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष कर आगे बढ़ने वाले बच्चे समाज के लिए उदाहरण हैं। इन्हें देखकर दूसरे बच्चे भी प्रेरित होते हैं। एलन ऐसी प्रतिभाओं की मदद के लिए सदैव तैयार है। इन बच्चों की सफलता ही संकल्प की सफलता है।
नवीन माहेश्वरी, निदेशक, एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट, कोटा