सेंसेक्स 770 अंक टूट कर 58,800 के नीचे बंद, निफ्टी 17,542 पर

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मुंबई। घरेलू शेयर बाजार में बृहस्पतिवार को गिरावट आई और बीएसई सेंसेक्स 770 अंक से अधिक के नुकसान में रहा। वैश्विक स्तर पर कमजोर रुख और केंद्रीय बैंकों द्वारा आक्रामक तरीके से ब्याज दर बढ़ाने को लेकर चिंता के बीच बिकवाली दबाव से बाजार नीचे आया।

सरकार के डीजल और विमान ईंधन के निर्यात पर कर बढ़ाने और घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ पर शुल्क बढ़ाये जाने से रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर लुढ़क गया। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 770.48 अंक यानी 1.29 प्रतिशत की गिरावट के साथ 58,766.59 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 1,014.5 अंक तक लुढ़क गया था। इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 216.50 अंक यानी 1.22 प्रतिशत टूटकर 17,542.80 अंक पर बंद हुआ।

सेंसेक्स के शेयरों में रिलायंस इंडस्ट्रीज में सबसे ज्यादा 2.99 प्रतिशत का नुकसान रहा। इसके अलावा टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, सन फार्मा, टेक महिंद्रा, हिंदुस्तान यूनिलीवर, इन्फोसिस, एनटीपीसी और टाटा स्टील प्रमुख रूप से नुकसान में रहे।

दूसरी तरफ बजाज फिनसर्व, एशियन पेंट्स, भारती एयरटेल, टाइटन, भारतीय स्टेट बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा और इंडसइंड बैंक लाभ में रहे। इनमें 2.58 प्रतिशत तक की तेजी रही। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 23 नुकसान में रहे।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लि. के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘‘फेडरल रिजर्व के आक्रामक रूप से ब्याज दर बढ़ाने तथा चीन में आर्थिक नरमी को लेकर चिंता के साथ वैश्विक स्तर पर कमजोर रुख के बीच स्थानीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव रहा। इसके अलावा, यूरो क्षेत्र में अगस्त महीने में मुद्रास्फीति के सालाना आधार पर रिकॉर्ड 9.1 प्रतिशत पर और जापान में 24 महीने के उच्चस्तर पर पहुंचने से भी चिंता बढ़ी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘घरेलू शेयर बाजारों में पिछले कुछ दिनों से तेज उतार-चढ़ाव बना हुआ है। हालांकि, मजबूत वृहत आर्थिक आंकड़ों के साथ विदेशी संस्थागत निवेशकों के पूंजी प्रवाह से निचले स्तर पर समर्थन मिला है।’’ बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कृषि और सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 13.5 प्रतिशत रही।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘घरेलू शेयर बाजार पर वैश्विक बाजार का असर रहा। नीतिगत दर में तेज वृद्धि, मुद्रास्फीति की ऊंची दर तथा अर्थव्यवस्था में नरमी से दुनिया के शेयर बाजारों पर दबाव है। हालांकि, भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर पहली तिमाही में रिजर्व बैंक के 16.2 प्रतिशत के अनुमान से कम रही है, लेकिन विनिर्माण क्षेत्र में दूसरी तिमाही में अबतक मजबूत गतिविधियां देखने को मिली हैं। यह घरेलू बाजार में मजबूत पुनरुद्धार का संकेत देता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा एफआईआई के विदेशी पूंजी प्रवाह से घरेलू बाजार की मजबूती को समर्थन मिलेगा।’’ शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को 4,165.86 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे।