केंद्र सरकार का खरीफ सत्र में 519 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य

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नयी दिल्ली। चालू खरीफ सीजन के दौरान सेंट्रल पूल के लिए कुल 519 लाख टन धान की सरकारी खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह लक्ष्य पिछले खरीफ सीजन के 509 लाख टन से ज्यादा है। चालू खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान होने वाली खरीद को पूरी तरह मैकेनाइज्ड किया जाएगा।

सरकारी खरीद के लिए बैंकों से जहां कम ब्याज दर पर उधारी ली जाएगी, वहीं खरीद लागत में कमी लाने का भी फैसला किया गया है। धान की खरीद में क्वालिटी कंट्रोल पर विशेष जोर दिया जाएगा। सीजन के दौरान स्थानीय स्तर पर राज्यों को मोटे अनाज की खरीद को प्रोत्साहित करने को कहा गया है। बैठक के दौरान धान की पैकिंग के लिए राज्यों से जूट बोरियों की अपनी जरूरतें बताने को कहा गया है।

खरीफ मार्केटिंग सीजन में धान व अन्य उपज की सरकारी खरीद की तैयारियों पर विशेष बैठक का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने की। इसमें हिस्सा लेने वालों में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, राजस्थान, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बंगाल प्रमुख थे। बैठक में विशेष तौर पर भारतीय खाद्य निगम के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक,उनके अफसरों के साथ खाद्य, कृषि मंत्रालय के साथ मौसम विभाग के आला अफसरों ने हिस्सा लिया।

वर्ष 2021-22 के खरीफ सीजन के दौरान कुल 509 लाख टन धान की खरीद हुई थी, जिसे चालू सीजन में बढ़ाकर 519 लाख टन कर दिया गया। राज्यों के साथ आयोजित बैठक में धान की क्वालिटी पर विशेष जोर रहेगा। किसानों को उनकी उपज का पूरा भुगतान आन लाइन किया जाएगा। खाद्य सचिव पांडेय ने राज्यों से खरीफ सीजन के दौरान मोटे अनाज की खरीद पर भी जोर देने का आग्रह किया।

जलवायु परिवर्तन और लोगों की जरूरतों को देखते हुए मोटे अनाज की उपयोगिता बढ़ी है। इसके लिए वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया है। जलवायु परिवर्तन के चलते गेहूं व धान की खेती के प्रभावित होने का खतरा है जिससे मोटे अनाज को सुपर फूड की श्रेणी में शामिल कर लिया गया है। चालू सीजन में 13.70 लाख टन मोटे अनाज की खरीद प्रस्तावित की गई है, जबकि पिछले सीजन में यह खरीद केवल 6.30 लाख टन हो सकी थी।

खरीफ सीजन के दौरान पैकिंग के लिए बोरियों की किल्लत को समय से पहले दुरुस्त लेने पर जोर देते हुए पांडेय ने कहा कि यह एक बड़ी चुनौती है। पैकिंग के लिए जितनी बोरियों की जरूरत है, उसका 50 प्रतिशत ही जूट बोरी उपलब्ध हो सकेगी। इसके मद्देनजर सुपर जूट बैग का बंदोबस्त किया जा रहा है। इसके लिए विशेष ट्रायल किए जा रहे हैं। इस टेक्नोलाजी का सफलता पूर्वक परीक्षण किया जा चुका है।

चावल निर्यात पर रोक की योजना नहीं
केंद्र सरकार चावल के निर्यात पर रोक लगाने को लेकर कोई योजना नहीं बना रही है। एक अधिकारी के अनुसार, देश में घरेलू जरूरतों के लिए पर्याप्त मात्रा में चावल मौजूद है।