बैडमिंटन प्लेयर साइना नेहवाल है गोल्डन गर्ल गौरांशी की प्रेरणा

0
584

कोटा। ब्राजील डेफ ओलंपिक गेम्स में गोल्ड मैडल जीतकर देश का नाम रोशन करने वाली कोटा के रामगंजमंडी की गौरांशी शर्मा का एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में अभिनन्दन किया गया। इस अवसर पर आयोजित मोटिवेशनल सेशन में गोल्डन गर्ल गौरांशी ने विद्यार्थियों से कहा कि हार से डरना नहीं है, बार-बार प्रयास करो, लगातार प्रयास करते रहो। यही जीत का मंत्र है।

अपनी कमजोरी और हार पर मायूस नहीं हों। एक हार के बाद दूसरी फिर तीसरी हार भी होगी। हो सकता है हार का सिलसिला लंबा चले, लेकिन एक दिन आएगा, जब सफलता आपके कदम चूमेगी। मेरी सफलता में मेरे परिवार का बहुत बड़ा हाथ है। यदि परिवार का साथ नहीं मिलता तो आज ये मुकाम हासिल नहीं कर पाती। हम सकारात्मक रहते हुए ही आगे बढ़ सकते हैं।

गौरांशी शर्मा की सफलता में बैडमिंटन प्लेयर साइना नेहवाल की भूमिका अहम रही। एक मुलाकात के दौरान साइना ने गौरांशी को विशेष श्रेणी के नंबर-1 बैडमिंटन प्लेयर राजीव वक्कर के बारे में बताया और कहा कि ‘अगली नंबर 1 प्लेयर तुम होंगी’। इसके बाद गौरांशी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

मात्र 7 साल की उम्र से बैडमिंटन खेल रही गौरांशी लक्ष्य के प्रति अडिग थी। बैडमिंटन में खुद को साबित करने के लिए रोजाना 8 घंटे की प्रैक्टिस, 20 किलोमीटर साइक्लिंग एवं 5 किलोमीटर की रनिंग करती थी।

खौलते दूध से 50 प्रतिशत जल गया था शरीर
बोलने-सुनने में अक्षम गौरांशी की सफलता का सफर आसान नहीं रहा। उसके माता-पिता भी मूक-बधिर थे। इतना ही नहीं, जब वह दो साल की थी, तब उसके ऊपर खौलता हुआ दूध गिर गया था, जिसमें उसका करीब 50 प्रतिशत शरीर जल गया था। इस हादसे के बाद पिता ने बेटी को सफलता की सीढ़ी चढ़ाने की ठान ली, ताकि वह दूसरों के लिए मिसाल बन सके।

बेटी को स्विमर बनाना चाहते थे माता-पिता
माता-पिता बेटी को स्विमर बनाना चाहते थे। गौरांशी अच्छी तैराक बन गई थी लेकिन, स्विमिंग पूल से वापस लौटते समय उसी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में बैडमिंटन खेलते बच्चों को देखती थी। बैडमिंटन में रोल मॉडल साइना नेहवाल का फोटो देख इशारा करती थी कि मुझे यह खेलना है। फिर उसके पिता ने तय किया कि गौरांशी की इच्छा के अनुसार उसे बैडमिंटन सिखाएंगे।

एलन ने किया गौरांशी का सम्मान
जवाहर नगर में शनिवार को आयोजित अभिनंदन समारोह में एलन के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने गौरांशी को गोल्ड मैडल, पगड़ी व उपर्णा पहनाकर पहनाया, 51 हजार रूपए का चेक सौंपा तथा 10 ग्राम का प्योर गोल्ड मैडल पहनाया। कार्यक्रम में निदेशक नवीन माहेश्वरी ने कहा कि गौरांशी ने तिरंगें का मान दुनिया में बढ़ाया है। उसने कड़ी मेहनत कर देश के लिए गोल्ड मैडल जीता है। गौरांशी का बोल और सुन ना पाना लोगों को भावुक कर देता है। समारोह में कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी ने भी गौरांशी का अभिनदंन किया।