नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 21 मई को ही सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए डीजल-पेट्रोल (Petrol-Diesel Price) और गैस सिलेंडर सस्ते करने की घोषणा की थी। अब उन्होंने फिर से कुछ सिलसिलेवार ट्वीट किए हैं और बताया है कि डीजल-पेट्रोल पर जो उत्पाद शुल्क घटाया गया है, उसके मायने क्या हैं। उन्होंने यह भी बताया है कि नवंबर 2021 में मोदी सरकार ने उत्पाद शुल्क पर जो कटौती की थी, उसका बोझ किस पर पड़ा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट करते हुए पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क के कुछ फैक्ट्स के बारे में बताया है। उनके अनुसार उत्पाद शुल्क में बेसिक एक्साइज ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी, रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सेस और एग्रिकल्चर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस होता है। बेसिक एक्साइज ड्यूटी को राज्यों के साथ भी बांटा जाता है, वहीं स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी, रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सेस और एग्रिकल्चर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस को किसी से साथ साझा नहीं किया जाता।
पेट्रोल पर 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर (आज से लागू) एक्साइज ड्यूटी की कटौती की गई है। यह कटौती पूरी तरह से रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सेस में से की गई है। यहां तक कि नवंबर 2021 में पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर की जो एक्साइज ड्यूटी में कटौती की गई थी, वह भी पूरी तरह से रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सेस पर थी। बेसिक एक्साइज ड्यूटी को राज्यों के साथ साझा किया जाता है, इसलिए उसे छुआ नहीं गया। इस तरह एक्साइज ड्यूटी में कटौती का पूरा बोझ (अभी का और नवंबर का) पूरी तरह से केंद्र सरकार पर पड़ रहा है।
एक लाख करोड़ का नुकसान होगा
सीतारमण ने कहा है 21 मई को एक्साइज ड्यूटी में की गई कटौती से सरकार को करीब 1 लाख करोड़ का नुकसान होगा, जबकि नवंबर 2021 की कटौती से सरकार को लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यानी साल भर में दो बार एक्साइज ड्यूटी में कटौती से केंद्र सरकार पर 2.2 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ा है।
उन्होंने कहा है रिजर्व बैंक के आंकड़े दिखाते हैं कि मोदी सरकार ने 2012-22 के बीच डेवलपमेंट पर कुल 90.9 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। वहीं दूसरी ओर 2004-14 के बीच डेवलपमेंट पर सिर्फ 49.2 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। मोदी सरकार ने जो खर्चे किए हैं, उनमें फूड, फ्यूल और फर्टिलाइजर पर दी गई सब्सिडी पर 24.85 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। वहीं पूंजी बनाने पर लगभग 26.3 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यूपीए के 10 सालों में सब्सिडी पर सिर्फ 13.9 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए।
गैस सिलेंडर की कीमतें भी हुईं कम
मोदी सरकार ने इस साल पीएम उज्ज्वला योजना के करीब 9 करोड़ लाभार्थियों को गैस सब्सिडी देने का भी फैसला किया है। सरकार ने कहा है कि वह प्रति गैस सिलेंडर 200 रुपये की सब्सिडी देगी। निर्मला सीतारमण ने ट्वीट में लिखा है कि इससे माताओं-बहनों को बहुत मदद मिलेगी और सरकार पर सालाना करीब 6100 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।