नई दिल्ली। एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) को लेकर अच्छी खबर नहीं आ रही है। देश के इस सबसे बड़े आईपीओ पर रूस-यूक्रेन लड़ाई (Russia Ukraine War) का खतरा मंडरा रहा है। सरकारी स्वामित्व वाली इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी के आईपीओ का निवेशक लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन यह आईपीओ अगले वित्त वर्ष के लिए टाला जा सकता है। सूत्रों के अनुसार सरकार एक बैठक कर सकती है, जिसमें रूस-यूक्रेन के बीच बढ़ती लड़ाई के चलते आईपीओ की टाइमिंग को लेकर चर्चा होगी।
वित्त मंत्री ने दिए संकेत
केंद्र सरकार एलआईसी आईपीओ की टाइमिंग पर रिव्यू कर सकती है। एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी संकेत दिया है कि आईपीओ की टाइमिंग के बारे में एक बार फिर सोचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन लड़ाई के चलते एलआईसी आईपीओ पर एक बार फिर नजर डाली जा सकती है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘आदर्श रूप से मैं मौजूदा टाइमिंग के अनुसार आगे बढ़ना चाहती हूं, क्योंकि हमने भारतीय विचार को ध्यान में रखते हुए यह प्लान किया है। अगर वैश्विक परिस्थितियां मजबूर करती हैं तो मैं इस पर फिर से विचार करूंगी।’
5 फीसद हिस्सेदारी बेचेगी सरकार
बता दें कि एलआईसी आईपीओ के लिए डीआरएचपी (DRHP) 13 फरवरी को जारी हुआ था। सरकार इस आईपीओ के जरिए एलआईसी में अपनी 5 फीसद हिस्सेदारी बेचना चाहती है। इस आईपीओ में 316.25 मिलियन शेयर बिक्री के लिए रखे जाएंगे। इस आईपीओ का 35 फीसदी हिस्सा खुदरा निवेशकों के लिए, 10 फीसदी पॉलिसीधारकों के लिए और पांच फीसदी कर्मचारियों के लिए रिजर्व होगा।
बीमाधारकों को रिजर्वेशन
इस आईपीओ में एलआईसी के 26 करोड़ बीमाधारकों के लिए 3.16 करोड़ शेयर रिजर्व रखे गए हैं। इस कोटे का फायदा उठाने के लिए बीमाधारकों का पैन नंबर पॉलिसी से लिंक होना चाहिए। साथ ही उनके पास एक डीमैट अकाउंट होना चाहिए। इस आईपीओ में एलआईसी बीमाधारक अधिकतम चार लाख रुपये तक के शेयरों के लिए बोली लगा सकते हैं। वे बीमाधारक कैटगरी में दो लाख रुपये और खुदरा कैटगरी में दो लाख रुपये की बोली लगा सकते हैं।