ग्लास्गो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 दिन का रोम दौरा खत्म करने के बाद COP26 समिट में शामिल होने ग्लास्गो पहुंचे। यहां उन्होंने दुनिया के सामने जलवायु परिवर्तन को लेकर भारत का एजेंडा सामने रखा। कॉप 26 में एक्शन एंड सॉलिडेरिटी: द क्रिटिकल डिकेड सेगमेंट में प्रधानमंत्री मोदी ने ऋग्वेद की दो लाइनों से अपनी स्पीच शुरू की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- हमारी संस्कृति में हजारों साल पहले यह मंत्र दिया गया था। संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्… यानी सभी मिलकर साथ चलें। सब मिलकर संवाद करें और सभी के मन भी मिले रहें।
मैं पहली बार जब पेरिस क्लाइमेट समिट में आया था तो मानवता के लिए कुछ बात करने आया था। मेरे लिए पेरिस समिट नहीं सेंटीमेंट और कमिटमेंट था। हमारे यहां ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ कहा जाता है। यानी सभी सुखी रहें। मोदी ने LIFE यानी लाइफ स्टाइल फॉर एनवायर्नमेंट का मंत्र देते हुए इसे जनआंदोलन बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अहम से वयम के कल्याण का यही रास्ता है।
भारत में दुनिया की आबादी 17%, उत्सर्जन में हिस्सा सिर्फ 5%
हमारे यहां दुनिया की 17% आबादी है, लेकिन उत्सर्जन में हिस्सा सिर्फ 5% है। हमने नॉन फॉसिल फ्यूल में 25% वृद्धि की है। विश्व की कुल आबादी से भी ज्यादा लोग हमारे यहां भारतीय रेल से यात्रा करते हैं। इस भारतीय रेलवे ने 2030 तक नेट जीरो एमिशन का लक्ष्य रखा है।
सिर्फ इसी पहल से सालाना 60 मिलियन टन उत्सर्जन कम होगा। इसी तरह हमारे LED बल्ब अभियान से सालाना 40 मिलियन टन उत्सर्जन कम होगा। हमने इंटरनेशनल सोलर अलायंस की पहल की है। क्लाइटमेट चेंज में लाइफ स्टाइल की एक बड़ी भूमिका है और पूरी दुनिया इसे मान रही है।
प्रधानमंत्री ने दी पंचामृत की सौगात
मैं एक शब्द आपके सामने रखता हूं LIFE यानी लाइफ स्टाइल फॉर एनवायर्नमेंट। इसे जनआंदोलन बनाना होगा। अहम से वयम के कल्याण का यही रास्ता है। इस चुनौती से निपटने के लिए मैं भारत की तरफ से पांच अमृत तत्व रखना चाहता हूं। पंचामृत की सौगात देना चाहता हूं…
पहला: भारत 2030 तक अपनी नॉन फॉसिल एनर्जी को 500 गीगा बाइट तक पहुंचाएगा।
दूसरा : भारत 2030 तक अपनी 50% ऊर्जा जरूरतों को रिन्युएबल एनर्जी से पूरा करेगा।
तीसरा : भारत 2030 तक कुल प्रोजेक्टेडज कार्बन एमिशन का 1 बिलियन टन कम करेगा।
चौथा : भारत 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इन्टेनसिटी को 45% तक कम करेगा।
पांचवा : 2070 तक नेट जीरो एमिशन का लक्ष्य हासिल करेगा। ये सच्चाई सभी जानते हैं कि क्लाइमेट चेंज फाइनेंसिंग को लेकर वादे खोखले साबित हुए हैं।
क्लाइमेट फाइनेंस को भी ट्रैक करना होगा
दुनिया को लो-कॉस्ट एनर्जी का महत्व समझना होगा। हमारी अपेक्षा है कि विकसित देश जल्द से जल्द 1 ट्रिलियन डॉलर का क्लाइमेट फंड मुहैया कराएं। हमें क्लाइमेट फाइनेंस को भी ट्रैक करना होगा। हम अन्य विकासशील देशों का दर्द समझते हैं। कुछ देशों के लिए क्लाइमेट चेंज उनके अस्तित्व पर मंडराता खतरा है। बड़े कदम उठाने ही होंगे। मुझे यकीन है कि ग्लास्गो में लिए गए फैसले हमारी भावी पीढ़ी का भविष्य बचाएंगे।
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ नियमों को लचीला बनाने की जरूरत
भारत में जल से नल परियोजना में लोगों को लाभ मिला। भारत में स्वच्छता अभियान से लोगों के जीवन में सुधार आया। ग्लोबल वॉर्मिंग पर छोटे देशों को मदद की जरूरत है। भारत समेत अधिकतर विकासशील देशों के किसानों के लिए जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती है। देश में बारिश, बाढ़ और लगातार आ रहे तूफानों से फसल नष्ट हो रही है। पेयजल के स्रोत से लेकर किफायती आवास तक सभी को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ नियमों को लचीला बनाने की जरूरत है।
पिछड़े देशों को वैश्विक मदद की जरूरत
पीएम ने कहा- पिछड़े देशों को वैश्विक मदद की जरूरत है। इसके लिए विकसित देशों को आगे आना होगा। दुनिया को अब एडॉप्टेशन पर ध्यान देना होगा। जरूरत है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के मुद्दे पर सभी देश एक साथ आएं और इसे जनभागीदारी अभियान बनाएं।
भारत की पहल से जुड़े दुनिया
एडॉप्टेशन के तरीके चाहे स्थानीय हों। पिछड़े देशों को इसके लिए दुनिया का सहयोग मिलना चाहिए। लोकल एडॉप्टेशन को ग्लोबल सहयोग के लिए भारत ने कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिस्टेंस इंफ्रास्ट्रक्चर पहल की शुरूआत की थी। मैं सभी देशों को इस पहल से जुड़ने का अनुरोध करता हूं।
नल से जल, क्लीन इंडिया मिशन और उज्जवला से सुधरा जीवन
भारत में हमने कई मुद्दों और विकास कार्यक्रमों में भी प्राकृतिक जरूरतों को ध्यान में रखकर नीतियां बनाई हैं। नल से जल, क्लीन इंडिया मिशन और उज्जवला के जरिए हमने लोगों के जीवन स्तर में सुधार किए हैं।
हमारे यहां जनजातियां प्रकृति के साथ रहने का हुनर जानती है। हम चाहते हैं कि उनका यह हुनर आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचे। इसके लिए जरूरी है कि हम इस जीवन से जुड़े मुद्दे को स्कूल के सिलेबस में शामिल करें।
अमेरिका दुनिया के सामने उदाहरण पेश करेगा: बाइडेन
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी समिट में अपनी बात रखी। बाइडेन ने कहा- हम में निवेश करने और एक स्वच्छ ऊर्जा वाले भविष्य का निर्माण करने की क्षमता है। इस प्रक्रिया में दुनिया भर में लाखों रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे हमारे बच्चों के लिए स्वच्छ हवा, हमारे ग्रह के लिए स्वस्थ वन और पारिस्थितिकी तंत्र तैयार होगा।