नेटबंदी से पहले ही लीक हुआ था रीट पेपर, पुलिस क्वार्टर व कार में दिखाया सॉल्व पेपर

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जयपुर। रीट पेपर लीक केस की जांच में रोज नए और चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। पहली पारी का पेपर मास्टरमाइंड बत्तीलाल उर्फ विकास मीना ने नेटबंदी से पहले ही वाॅट्सएप पर आशीष काे भेज दिया था। फिर आशीष ने अपनी बहनों ऊषा व मनीषा को नकल कराई। दिलखुश भी आशीष के साथ था। बत्तीलाल ने अपने माेबाइल नंबर 9414990919 से आशीष के माेबाइल नंबर 6376667919 पर पेपर भेजा।

इसके बाद नेट बंद हाेने के कारण आशीष ने कांस्टेबल देवेन्द्र काे गंगापुर सिटी में कराैली फाटक के पास बुलाया। जहां आशीष ने उसके माेबाइल में पेपर हाेने की बात कही। फिर देवेंद्र ने अपने माेबाइल से आशीष के माेबाइल में मौजूद पेपर की फाेटाे ली और हेडकांस्टेबल यदुवीर काे बताया। देवेन्द्र के माेबाइल में पेपर के 33 फाेटाेग्राफ मिले हैं।

इसके बाद देवेंद्र ने अपने परिचित हेडकांस्टेबल पुष्पेंद्र के सरकारी क्वार्टर में जाकर अपनी पत्नी को पेपर और उसके आंसर बताए। जबकि आशीष ने गाड़ी नंबर आरजे 25 सीए 8924 में बैठकर अपनी दाेनाें बहनाें काे नकल करवाई थी। मास्टरमाइंड बत्तीलाल अभी फरार है। मगर पेपर वॉट्सएप करते वक्त उसकी लोकेशन जयपुर में थी।

एसओजी ने एक और दिलखुश नाम के युवक काे पकड़ा है। इसके पास भी परीक्षा से पहले ही पेपर व आंसर की आ गई थी। दिलखुश ने हल किया हुआ पूरा पेपर देख लिया और सेंटर पर जाकर परीक्षा भी दी लेकिन अधिकतर उत्तर गलत कर दिए। पूछताछ में बताया कि पेपर मिलने की इतनी खुशी हुई कि सही उत्तर समझ ही नहीं पाया और गलत कर आया।

दरअसल, ये दिलखुश मास्टरमाइंड बत्तीलाल के साथी संजय मीणा के गांव (भारजा नदी मलारणा डूंगर, सवाई माधोपुर) का है। अंदेशा है कि उसे संजय मीणा के जरिए पेपर मिला होगा। ये पेपर कितने लोगों तक पहुुंचा उसकी जांच जारी है।

रीट से 2 दिन पहले यानी 24 सितंबर की रात 10:30 बजे मनाेहरपुर दिल्ली हाईवे पर रायसर पुलिया के पास रीट के पेपर ले जा रहा कंटेनर पलट गया था। बताया गया कि सांड सामने आ जाने से कंटेनर अनियंत्रित हाे गया। हादसे में चालक की माैत हाे गई थी। इसके पीछे काेई एस्कार्ट की गाड़ी भी नहीं थी। करीब दाे घंटे बाद पुलिस माैके पर पहुंची थी। एसओजी इस मामले काे संदिग्ध मान रही है।