अब इलेक्ट्रिक व्हीकल का रजिस्ट्रेशन फ्री होगा, 4 हजार तक सस्ती होंगी कारें

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नई दिल्ली। देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) का इस्तेमाल बढ़ाने की दिशा में सरकार ने मंगलवार को एक बड़ा कदम उठाया। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बैटरी से चलने वाली गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करने या रिन्यूअल के लिए कोई शुल्क न लेने की घोषणा की। मंत्रालय ने कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल के नए रजिस्ट्रेशन मार्क जारी करने के लिए भी कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।

ऑटोमोबाइल डीलरों के संगठन एफएडीए के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने बताया कि सरकार के इस फैसले से ई-स्कूटर या बाइक खरीदने की लागत कम से कम 1,000 रुपए कम हो जाएगी। इलेक्ट्रिक कारें खरीदने वाले ग्राहकों को भी 4,000 रुपए का फायदा होगा।

राज्य सरकारें भी दे रही बढ़ावा
केंद्र सरकार के बाद अब राज्यों ने भी ईवी को बढ़ावा देने के लिए इन्सेंटिव देना शुरू कर दिया है। बीते एक महीने में तीन बड़े राज्य इसकी घोषणा कर चुके हैं, जबकि 20 राज्य पॉलिसी तैयार कर रहे हैं। जिन राज्यों ने इन्सेंटिव देना शुरू किया है, वहां EV की कीमतों में 40% तक की भारी-भरकम कमी देखने को मिल रही है।

केन्द्र सरकार भी कर चुकी सब्सिडी का ऐलान
जुलाई की शुरुआत में केंद्र ने ‘फास्टर अडाप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स’ (फेम-2) स्कीम की अवधि दो साल बढ़ाकर 31 मार्च, 2024 कर दी है। पहले यह स्कीम अप्रैल, 2022 में खत्म होनी थी। अब राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर पर लोगों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना आसान बना रही है। बीते एक महीने में महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान ने ईवी इन्सेंटिव पॉलिसी लागू की है।

तीन अन्य राज्यों में पहले से यह नीति लागू है। इससे इलेक्ट्रिक दोपहिया के दाम लगभग आधे हो गए हैं। 20 राज्य इलेक्ट्रिक व्हीकल को प्रोत्साहन देने की प्रक्रिया में हैं। उनके यहां भी ऐसी नीति लागू होने के बाद ईवी की मांग बढ़ेगी।

पांच सालों में 50 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक व्हीकल चलेंगी
इससे ईवी कंपनियां उत्साहित हैं। उनका कहना है कि इससे ज्यादा से ज्यादा लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।

रिवोल्ट मोटर्स ब्रांड की इलेक्ट्रिक मोटरबाइक बनाने वाली कंपनी रतन इंडिया एंटरप्राइजेस की चेयरमैन अंजलि रतन ने कहा, अगले 5 सालों में देश की सड़कों पर 50 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक दोपहिया दौड़ने की उम्मीद है। राज्य सरकारों की तरफ से दिए जा रहे प्रोत्साहन की बदौलत यह लक्ष्य पहले भी हासिल हो सकता है।