नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को जनरल इंश्योरेंस बिजनेस नेशनलाइजेशन अमेंडमेंट बिल 2021 (GIBNAB) लोकसभा में पास करवा लिया है।
मोदी सरकार प्राइवेट सेक्टर के इनवेस्टमेंट करने का रास्ता धीरे-धीरे खोल रही है। सरकार का मानना है कि इससे जहां कंपनियों के स्ट्रक्चर में बदलाव आएगा। वहीं, सरकार पर से इसका बोझ भी कम होगा। GIBNA बिल 1972 के मुताबिक जनरल इंश्योरेंस कंपनियों से अपनी हिस्सेदारी 51% से कम नहीं कर सकती। लेकिन मौजूदा बिल को मंजूरी मिलने के बाद सरकार अपनी हिस्सेदारी 51% से घटा सकती है। इससे सरकार का नियंत्रण भी इन कंपनियों पर से कम होगा।
इस बिल पर बयान देते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अब समय आ गया है कि GIBNA बिल 1972 में संशोधन किया जाए। आपको बता दें इसी साल वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में दो बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण करण का ऐलान किया था। सरकार इस वित्त वर्ष 1.75 लाख करोड़ रुपये विनिवेश के जरिए जुटाने का लक्ष्य रखा है।
इन कंपनियों में से किसी एक का होगा निजीकरण
नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, मौजूदा समय में देश में पब्लिक सेक्टर में ये चार इंश्योरेंस कंपनियां हैं। हालांकि इनमें से किसका निजीकरण होगा, इसको लेकर सरकार की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है।
अगले वित्त वर्ष में नहीं होगा किसी बैंक का निजीकरण
केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ने इस साल दो बैंकों के निजीकरण की बात कही थी। माना जा रहा था कि सरकार अगले वित्त वर्ष भी बैंकों का निजीकरण कर सकती है। हालांकि अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अगले वित्त वर्ष में किसी भी सरकारी बैंक का निजीकरण नहीं होगा। इस मामले से जुड़े लोगों की माने तो सरकार को अभी इस पर लेनेदेन शुरू करने के लिए संसद से मंजूरी लेनी होगी। जिसके लिए अब बहुत ही कम समय बचा है।