नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक नार्को सिंडिकेट के सरगना समेत तीन ड्रग्स तस्कर को गिरफ्तार किया है। इनमें सरगना ने नकली कोडीन सिरप बनाने के लिए बवाना के सेक्टर दो औद्योगिक क्षेत्र में किराये पर एक फैक्ट्री ले रखी थी, जहां उसने मशीनें लगवा रखी थी।
वहां से एक करोड़ रुपये मूल्य की अल्फ्राजोलम टैबलेट, ट्राइप्रोलिडाइन हाइड्रोकोराइड और कोडीन फास्फेट ब्रांड की नकली सिरप सहित प्रतिबंधित दवाए व साइकोट्रोपिक पदार्थ जब्त किए।
कोडीन खांसी की दवा होती है और अल्फ्राजोलम टैबलेट दर्द निवारक गोलियां हैं, जिसका इस्तेमाल एंजाइटी आदि में किया जाता है। उक्त दवाओं का अत्यधिक डोज लेकर लोग इसका नशे के लिए इस्तेमाल करते हैं।
गिरोह के तार दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड से जुड़े हैं। बरामद टैबलेट इलाहाबाद, यूपी और उत्तराखंड से मंगाए जाते थे। आरोपित इन दवाओं को ड्रग्स तस्करों के अलावा दवा विक्रेताओं को ऊंची दर पर अवैध तरीके से बेचते थे।
विशेष आयुक्त क्राइम ब्रांच देवेश चंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक पकड़े गए आरोपितों के नाम समालुद्दीन उर्फ सादिक (सरगना), सलमान व गुलजार है। 25 दिसंबर को क्राइम ब्रांच ने गुप्त सूचना के आधार पर तीनों को दिल्ली से दबोच लिया।
इनमें समालुद्दीन उर्फ सादिक, आगरा, उत्तर प्रदेश, मोहम्मद गुलजार, पुर्नवास कालोनी, नरेला व सलमान, बागपत, यूपी का रहने वाला है। इनसे पूछताछ के बाद बवाना स्थित फैक्ट्री पर छापा वहां से अल्फाजोलम टैबलेट की 1,80,000 गोलियां, ट्राइप्रोलिडाइन हाइड्रोकोराइड और कोडीन फास्फेट सिरप की 9,000 बोतलें और ओ-क्यूरेक्स-टी सिरप बरामद किए गए।
दिल्ली में ड्रग्स तस्करों के खिलाफ चल रहे अभियान के तहत एडिशनल पुलिस कमिश्नर संजय भाटिया, डीसीपी भीष्म सिंह, एसीपी राज कुमार व इंस्पेक्टर जसबीर सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने इस सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया जो प्रतिबंधित अल्फाजोलम टैबलेट, ट्राइप्रोलिडाइन हाइड्रोकोराइड व कोडीन फास्फेट सिरप का कारोबार करता था।
फैक्ट्री से 4500 पेपर रैपर टैबलेट पैकेजिंग सामग्री, 26000 कफ सिरप के लेबल, 12000 सिरप के लिए पैकेजिंग सामग्री व खाली बोतल, बोतलों के ढक्कन, 80,000 कार्ड बोर्ड, सिरप के निर्माण में प्रयुक्त केमिकल, टेबलेट पैक करने की मशीन, बोतल का ढक्कन लगाने की मशीन, बोतल भरने की मशीन।
सिरप तैयार करने की मशीन, सिलेंडर और गैस स्टोव आदि बरामद किए गए। आरोपित जाली विनिर्माण लाइसेंस नंबर, बैच नंबर का उपयोग कर रहे थे। सिरप पर अंकित पता और क्यूआर कोड भी फर्जी पाए गए। ये लोग नकली ब्रांड नेम डा. जस्ट का भी इस्तेमाल कर रहे थे।