जयपुर। आम लोगों को सीधा लाभ पहुंचाने वाले केंद्र सरकार के विभागों, बोर्ड, निगम और एजेंसियों को प्रदेश में दफ्तर खोलने के लिए गहलोत सरकार ने मुफ्त जमीन देने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दी है। अब तक राजस्व विभाग के 2 मार्च, 1987 के सर्कुलर में केन्द्र सरकार के विभागों, प्रतिष्ठानों और उपक्रमों के लिए कीमत लेकर जमीन आवंटन करने का प्रावधान था। अब इस संशोधन होगा। शहरों में केंद्रीय दफ्तरों के लिए जमीन आवंटन महंगा करने के फैसले के महीने भर बाद ही गहलोत सरकार ने नया प्रावधान किया है।
मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद 34 साल पुराने राजस्व विभाग के सर्कुलर में संशोधन का रास्ता साफ हो गया है। संशोधन कर केंद्र सरकार के दफ्तरों, एजेंसियों के लिए मुफ्त जमीन का प्रावधान जोड़ा जाएगा। अब तक केंद्र सरकार के दफ्तरों को पैसा लेकर जमीन आवंटन करने का ही प्रावधान था। आम जनता को सीधा लाभ पुहंचाने वाले विभागों के साथ केंद्रीय विद्यालयों, केंंद्र के कॉलेज, यूनिवर्सिटी और अस्पतालों, जनहित से जुड़े विभागों को मुफ्त जमीन मिल सकेगी।
गहलोत सरकार ने शहरी क्षेत्रों में केंद्र सरकार के विभागों, बोर्ड, निगम के लिए हाल ही में जमीन महंगी की थी। नगरीय विकास और आवासन यूडीएच विभाग ने हाल ही में 2017 की जमीन आवंटन नीति में संशोधन किया था। इस संशोधन के जरिए जमीन महंगी की गई थी। शहरी क्षेत्रों में केंद्र सरकार के विभागों को जमीन की आरक्षित दर रिजर्व प्राइस और उसके ऊपर 15 प्रतिशत लेने का प्रावधान किया है। केंद्र सरकार के बोर्ड, निगम, केंद्रीय उपक्रमों को रिजर्व प्राइस की 150 प्रतिशत राशि और ऊपर से उसका 15 प्रतिशत राशि जोड़कर जमीन आवंटित करने का प्रावधान किया था।
केंद्र सरकार के विभागों और बोर्ड, निगम को शहरों में जमीन आवंटित करने के प्रावधानों में यूडीएच विभाग की नई जमीन आवंटन नीति में हाल ही बदलाव कर उसे महंगा किया था। मुख्यमंत्री के ताजा फैसले में यह साफ नहीं है कि शहरों में जमीन मुफ्त मिलेगी या नहीं। शहरों में मुफ्त जमीन के लिए जमीन आवंटन नीति में प्रावधान बदलने का संशोधन करना होगा।