मुंबई। दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के शेयरों में आखिरकार कारोबार बंद हो गया। इसका शेयर शुक्रवार को 9.97% गिर कर 16.70 रुपए पर बंद हुआ था। इसका मार्केट कैप 524 करोड़ रुपए रहा था। हालांकि उससे पहले इसका शेयर दो दिन तक 20-20% तक गिरा था।
बैंकों ने इस कंपनी का 45 हजार करोड़ रुपए तक का लोन राइट ऑफ किया था। राइट ऑफ का मतलब उस कर्ज की वसूली होती रहेगी, पर गारंटी नहीं है। 8 जून को इस कंपनी के 1.46 करोड़ शेयरों में कारोबार किया गया था। पर अब इसके शेयरों की न तो खरीदी हो सकती है न बिक्री। निवेशकों ने उम्मीद में इस कंपनी के शेयरों में निवेश किया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने पिछले हफ्ते एक नोटिस जारी कर जानकारी दी थी कि सोमवार से इस शेयर में कारोबार बंद हो जाएगा। हालांकि यह जानते हुए भी एक हफ्ते पहले तक निवेशकों ने इसके शेयरों में जमकर निवेश किया और इसका शेयर 1 साल के ऊपरी स्तर के करीब पहुंच गया था।
DHFL के लिए पीरामल ग्रुप की सफल बोली में एनसीएलटी (NCLT) की तरफ से मंजूर की गई स्कीम में DHFL के शेयरों के लिए जीरो प्राइस की बात की गई थी, इसके बावजूद स्टॉक में कारोबार करने की इजाजत दी गई। BSE और NSE सर्कुलर में कहा गया है कि DHFL ने 9 जून को कहा कि इंडिया इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (कॉरपोरेट के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया) के तहत नियुक्त रजिस्टर्ड वैल्यूअर्स की तरफ से अनुमानित कंपनी की लिक्विड वैल्यू के मुताबिक इक्विटी शेयरों के लिए कोई मूल्य नहीं था।
इसके आगे कंपनी ने यह भी बताया है कि रिजॉल्यूशन प्लान के अप्रूवल का लिखित आदेश अभी भी आना बाकी है और सभी डिस्क्लोजर अभी भी इसी लिखित आदेश से जुड़े हैं। पीरामल ग्रुप ने DHFL के सारे कारोबार को खरीदने के लिए 37,250 करोड़ रुपए का ऑफर दिया था। इसमें 12,700 करोड़ रुपए का अपफ्रंट कैश भी शामिल हैं। पीरामल ग्रुप के ऑफर को कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC), रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) भी मंजूरी दे चुके हैं।
NCLT ने क्रेडिटर्स की कमेटी से कहा है कि DHFL के फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) होल्डर्स और छोटे निवेशकों के लिए ज्यादा फंड आवंटित किया जाए। हालांकि, ट्रिब्यूनल ने अंतिम फैसला CoC पर ही छोड़ा है। NCLT ने DHFL के पूर्व प्रमोटर कपिल वधावन को रेजोल्यूशन प्लान की कॉपी उपलब्ध कराने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है मामला
पिछले महीने NCLT ने CoC से कहा था कि वह DHFL के पूर्व प्रमोटर कपिल वधावन के सेटलमेंट ऑफर पर विचार करें। इसके खिलाफ CoC ने NCLAT में याचिका दायर की थी। इस पर NCLAT ने NCLT के आदेश पर रोक लगा दी थी। NCLAT के फैसले पर रोक लगाने के लिए कपिल वधावन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अभी इस मामले में कोई फैसला नहीं आया है और मामला विचाराधीन है।
नवंबर 2019 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी (IBC) कोड के तहत DHFL को दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन किया था। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच में DHFL की दिवालिया प्रक्रिया चल रही है।