दुनिया भर में बढ़ी भारतीय हल्दी की मांग, एक्सपोर्ट में बड़ा उछाल

0
493

हल्दी एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 60 फीसदी से अधिक है

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण काल में हल्दी की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मार्केट दोनों में काफी बढ़ गई है। वाणिज्य मंत्रालय के अधीन आने वाले मसाला बोर्ड (Spices Board) के मुताबिक देश के सबसे बड़े हल्दी उत्पादक तेलंगाना ने इस साल के पहले पांच महीनों में ही 59,580 टन हल्दी का एक्सपोर्ट किया है, जो पिछले सात वर्षों में इसी अवधि का उच्चतम है। इसकी बड़ी वजह कोरोना काल में हल्दी का इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में बढ़ा इस्तेमाल है। (देखिए वीडियो)

मसाला बोर्ड ने अप्रैल से सितंबर 2019 के मुकाबले अप्रैल से सितंबर 2020 में हल्दी के अनुमानित एक्सपोर्ट की जानकारी दी है। इसके मुताबिक पिछले साल के मुकाबले इस दौरान करीब 42 फीसदी एक्सपोर्ट बढ़ा है। 2019 में 69,500 टन हल्दी एक्सपोर्ट की गई. जबकि 2020 में यह बढ़कर 99,000 टन होने का अनुमान है।

हल्दी के प्रमुख उत्पादक राज्यों में तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र, मिजोरम, असम, गुजरात और हरियाणा हैं। जहां के किसानों को इसका फायदा मिल रहा है। धान और गेहूं का अच्छा दाम न मिलने से परेशान किसानों के लिए हल्दी की खेती (Turmeric farming) लाभदायक विकल्प साबित हो सकती है।

कोझीकोड, केरल में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)के अधीन काम करने वाला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पाइसेज रिसर्च है। यहां एग्री इकोनॉमिक्स पर काम करने वाले सीनियर साइंटिस्ट डॉ. लीजो थॉमस कहते हैं, “कोरोना में इम्यूनिटी बूस्टर की मांग बढ़ने की वजह से एक्सपोर्ट ऑर्डर काफी बढ़ गया है।” उधर, कृषि क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि भारत में हल्दी निर्यात के लिए मीडिल ईस्ट, यूएसए, बांग्लादेश एवं यूरोप आदि से हल्दी की मांग बढ़ी है। जबकि, मलेशिया, ईरान, दुबई लिए एक्सपोर्टर नए कॉन्ट्रैक्ट साइन कर रहे हैं।

अब तक हल्दी की एमएसपी घोषित नहीं
भारतीय संस्कृति में कोई भी शुभ काम हल्दी के बिना अधूरा है। बिना हल्दी के भारतीय रसोई अधूरी है। हल्दी दवाई के काम भी आती है और लोगों की खूबसूरती निखारने के भी। कोरोना काल में तो इसकी मांग अच्छी है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं रहता। इसलिए तेलंगाना में हल्दी का दाम किसानों का बड़ा मुद्दा है। भारत में सबसे अहम हल्दी उत्पादक क्षेत्र निजामाबाद है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले यहां के किसानों ने वाजिव भाव न मिलने से नाराज होकर नेताओं के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ने तक का एलान कर दिया था।हालांकि, केंद्र सरकार ने अब तक इसकी एमएसपी नहीं घोषित की है।

एक्सपोर्ट में दुनिया का लीडर है भारत
रेड्डी के मुताबिक, “दुनिया की 80 फीसदी हल्दी पैदा करके हम वर्ल्ड लीडर हैं। हल्दी एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 60 फीसदी से अधिक है। लेकिन किसान को इसका तब तक सही दाम नहीं मिलेगा जब तक कि इसका एमएसपी न घोषित हो जाए। ऐसा होने पर परंपरागत खेती से हटकर किसानों का रुझान हल्दी पैदावार की तरफ ज्यादा बढ़ेगा।

हल्दी उत्पादक राज्य और एक्सपोर्ट
एपिडा (APEDA-Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) के मुताबिक यूएसए, यूके, ईरान और बांग्लादेश में इसका सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट होता है। मसला बोर्ड के मुताबिक, 2018-19 में 1,33,600 टन हल्दी का एक्सपोर्ट हुआ और उससे भारत को 1,41,616.00 लाख रुपये मिले। 2018-19 में भारत में 2,53,406 हेक्टेयर में 9,59,797 टन हल्दी का उत्पादन हुआ। जबकि 2017-18 में 1,07,300 मिट्रिक टन का ही एक्सपोर्ट किया गया था।