नई दिल्ली। टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार की गई ऐक्टिविस्ट दिशा रवि की वॉट्सऐप चैट्स रिट्रीव करने का दावा किया है। स्वीडन की क्लाइमेट ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग और दिशा के बीच कई बार चैट हुई। इस चैट में टूलकिट का जिक्र था। दिशा ने ग्रेटा के साथ बातचीत में यह भी कहा कि उन दोनों पर UAPA के तहत कार्रवाई हो सकती है। दिशा ने टूलकिट लीक होने के बाद ग्रेटा से यह भी पूछा कि क्या कुछ समय तक बिल्कुल चुप रहना चाहिए। दिल्ली पुलिस का दावा है कि दिशा ने ही टेलिग्राम पर थनबर्ग को टूलकिट डॉक्युमेंट भेजा था और उसे इसपर ऐक्शन लेने को कहा।
पुलिस के अनुसार दिशा ने एक वॉट्सऐप ग्रुप भी डिलीट किया है। साथ ही कुछ चैट्स भी डिलीट की गई हैं जिसमें टूलकिट को लेकर बातचीत हुई थी। पुलिस के मुताबिक, इन्हीं सबके बाद दिशा को गिरफ्तार करने का फैसला किया गया। दिल्ली पुलिस के अनुसार, कनाडा में रहने वाली पुनीत नाम की महिला ने दिशा, निकिता जैकब और शांतनु को एक-दूसरे से जोड़ा था।
3 फरवरी को दोनों के बीच चैट का खुलासा
ग्रेटा थनबर्ग: बड़ा अच्छा होता अगर ये अभी तैयार होता, इसके चक्कर में मुझे कई धमकियां मिलतीं। इसने तो हंगामा खड़ा कर दिया।
दिशा रवि: शिट, शिट, शिट… अभी भेज रही हूं। क्या तुम टूलकिट को बिल्कुल ट्वीट नहीं कर सकती हो?
दिशा रवि: क्या अभी हम कुछ भी नहीं बोल सकते? मैं वकीलों से बात करती हूं। आई एम सॉरी, इसमें हमारा नाम है और हम लोगों के खिलाफ यूएपीए लग सकता है। क्या तुम ठीक हो?
ग्रेटा थनबर्ग: मुझे कुछ लिखना है।
दिशा रवि: क्या तुम मुझे 5 मिनट दे सकती हो? मैं वकीलों से बात कर रही हूं।
ग्रेटा थनबर्ग: कई बार इस तरह की नफरत वाली आंधी आती है और ये वाकई जबर्दस्त होती है।
दिशा रवि: पक्का… मुझे माफ करना, हम सब डर गए क्योंकि यहां हालात खराब होने लगे हैं लेकिन हम ये सुनिश्चित करेंगे कि तुमपर आंच न आए। हमें सभी सोशल मीडिया हैंडल्स को डीऐक्टिवेट करना होगा।
गलती से लीक हो गई टूलकिट
दिल्ली पुलिस के अनुसार, देश के खिलाफ बड़ा षडयंत्र तैयार करने के लिए 6 दिसंबर को वॉट्सऐप ग्रुप बनाया गया था। जिसमें दिशा रवि, शांतनु, निकिता जैकब, एमओ धालीवाल समेत काफी लोग जोड़े गए थे। सोमवार को दिल्ली पुलिस ने दावा कि कि टूलकिट को दिशा रवि, निकिता और शांतनु ने मिलकर तैयार किया था। इसके लिए 11 जनवरी को जूम पर मीटिंग भी हुई थी। जिसमें 70 लोग शामिल हुए थे। शुरू में यह टूलकिट कुछ लोगों को ही दी गई थी, जिन्हें खालिस्तानी एजेंडे को आगे बढ़ाना था। हालांकि वह गलती से पब्लिक डोमेन में आ गई।