नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन का असर कोल आयात पर भी पड़ा है। इंडियन पोर्ट्स एसोसिएशन (आईपीए) के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में थर्मल कोल आयात में 30.46 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
इस अवधि में देश के सभी 12 मुख्य पोर्ट्स के जरिए 7.8 मिलियन टन थर्मल कोल का आयात हुआ है। पिछले साल इस समान अवधि में 11.27 मिलियन टन थर्मल कोल का आयात हुआ था। थर्मल कोल का मुख्य इस्तेमाल बिजली बनाने में होता है।
कोकिंग और अन्य कोल का आयात भी घटा
देश के प्रमुख 12 पोर्ट्स का संचालन करने वाली संस्था आईपीए ने पिछले साल आयात किए गए सभी प्रकार के कोल को लेकर एक ताजा रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2020 में कोकिंग और अन्य कोल का आयात भी 17.07 फीसदी घटकर 4.27 मिलियन टन रहा है।
पिछले साल अप्रैल में 5.15 मिलियन टन कोकिंग कोल का आयात हुआ था। थर्मल कोल भारत के ऊर्जा कार्यक्रम का मुख्य आधार है और करीब 70 फीसदी बिजली का उत्पादन इसी से होता है। वहीं, कोकिंग कोल का मुख्य इस्तेमाल स्टील बनाने में होता है। चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कोल उत्पादक देश है।
कार्गो ट्रैफिक 21 फीसदी घटा
आईपीए ने कहा कि सभी 12 प्रमुख पोर्ट देश के कुल कार्गो ट्रैफिक का 61 फीसदी हिस्सा संभालते हैं। अप्रैल महीने में इन पोर्ट्स पर कार्गो ट्रैफिक 21 फीसदी घटा है। इस अवधि में कुल 47.42 मिलियन टन कार्गो वॉल्यूम रहा है। आईपीए ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण कार्गो ट्रैफिक में कमी आई है। आईपीए के आंकड़ों के मुताबिक, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, चेन्नई, कोचिन और कामराजनगर के पोर्ट में कार्गो हैंडलिंग में बड़ी मात्रा में गिरावट आई है।
कार्गो सेगमेंट पर पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव: इक्रा
पिछले सप्ताह रेटिंग एजेंसी इक्रा ने भी कहा था कि कार्गो सेगमेंट कोरोना की बड़ी चपेट में है और इस सेगमेंट पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। एजेंसी ने वित्त वर्ष 2020-21 में कार्गो थ्रोपुट में 5 से 8 फीसदी तक की कमी का अनुमान जताया है। वहीं, कंटेनर सेगमेंट में 12 से 15 फीसदी की गिरावट का अनुमान जताया है। पिछले वित्त वर्ष में देश के सभी प्रमुख पोर्ट्स ने 705 मिलियन टन कार्गो हैंडलिंग की थी।