कोटा पुनः ज्ञान, शिक्षा और चरित्र निर्माण का प्रमुख केंद्र बने: प्रज्ञा सागर

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पर्यावरण संरक्षक आचार्य प्रज्ञा सागर मुनिराज का कोटा में चातुर्मास प्रारंभ

कोटा। कोटा की पावन धरा रविवार को आध्यात्मिक और भावनात्मक क्षणों की साक्षी बनी, जब पर्यावरण संरक्षक, तपोभूमि प्रणेता और राजकीय अतिथि के रूप में सम्मानित जैनाचार्य प्रज्ञा सागर मुनिराज अपने सम्पूर्ण संघ (8 पिच्छी) सहित वर्षायोग (चातुर्मास) हेतु प्रज्ञालोक महावीर नगर प्रथम में मंगल प्रवेश किया।

शोभायात्रा मार्ग में गणिनी आर्यिका विभा श्री माताजी ससंघ ने गुरूदेव आचार्य प्रज्ञा सागर जी मुनिराज की अगवानी की और पाद प्रक्षालन कर गुरू वंदना की। अध्यक्ष लोकेश जैन सीसवाली ने बताया कि कार्यक्रम में ऊर्जामंत्री हीरालाल नागर, विधायक संदीप शर्मा, रेडक्रॉस सोसायटी के स्टेट चेयरमैन राजेश कृष्ण बिरला, स्टेट सेक्रेट्ररी जगदीश जिंदल, चेयरमैन यतीश खेड़ावाला, सकल समाज के परम संरक्षक राजमल पाटौदी, विमल जैन, विनोद सकल समाज अध्यक्ष प्रकाश बज व मंत्री पदम बड़ला, गुरु आस्था परिवार महामंत्री नवीन जैन दोराया एवं कोषाध्यक्ष अजय जैन सहित जैन समाज के हजारों लोग उपस्थित रहे।

आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज के कोटा में मंगल प्रवेश पर उमड़ा जन सैलाब।

संयम, साधना और आत्मबल का संदेश
आचार्य प्रज्ञा सागर मुनिराज ने इस अवसर पर कहा कि चातुर्मास केवल चार महीनों का प्रवास नहीं, बल्कि यह आत्मिक अनुशासन, संयम, साधना और धर्म प्रभावना का पर्व है। उन्होंने कहा “हमें धर्म की प्रतिस्पर्धा नहीं, प्रभावना करनी चाहिए। समाज को जोड़ना, दिशा देना और स्वयं को संयम में रखना ही चातुर्मास की सार्थकता है।”

आचार्य श्री ने प्रज्ञालोक में हो रहे चातुर्मास को “कोटा का चातुर्मास” बताते हुए कहा कि “इस स्थल पर एक ओर भगवान महावीर विराजित हैं और दूसरी ओर भगवान आदिनाथ, ऐसे में यह स्थान ‘प्रज्ञालोक’ बन गया है। यहां का चातुर्मास दिव्य और मंगलकारी होगा।”

शिक्षा और साधना पुनर्स्थापित
आचार्य श्री ने विशेष रूप से कोटा की गौरवशाली शैक्षणिक छवि पुराने वैभव में पुनर्स्थापित करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि “हम सभी माँ सरस्वती से प्रार्थना करें कि कोटा पुनः ज्ञान, शिक्षा और चरित्र निर्माण का प्रमुख केंद्र बने। लाखों छात्र यहां पढ़ने आएं और संयम, संस्कार और सेवा का भाव लेकर लौटें।”
उन्होंने कहा कि कोटा में 60 मंदिर हैं। हमें हर मंदिर में चातुर्मास के प्रयास करने चाहिए। कोटा में इस बार 21 पिच्छी का चातुर्मास हो रहा है, यह गौरव की बात है।

श्रद्धा का सैलाब, भक्ति की गूंज
चेयरमैन यतीश जैन खेड़ावाला ने बताया कि सुबह 7:30 बजे अन्नतपुरा से प्रज्ञालोक तक निकाली गई विशाल शोभायात्रा में राजस्थानी परंपरा के अनुरूप हाथी, ऊँट, घोड़े, बग्घियाँ, रथ, कच्ची घोड़ी नृत्य और बैंड-शहनाई की मधुर स्वर लहरियाँ वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर रही थीं। शोभायात्रा में पुरुषों के साथ पारंपरिक परिधान में सजी महिलाएं भी उत्साह से सम्मिलित हुईं।

51 स्वागत द्वारों से सुसज्जित मार्ग
अध्यक्ष लोकेश जैन सीसवाली ने बताया कि शहर के मार्ग 51 स्वागत द्वारों से सुसज्जित किए गए थे। कच्ची घोड़ी बैंड की लय और उत्साह के साथ महिला-पुरुष श्रद्धालु जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ते गए। मार्ग में गुरुदेव के स्वागत में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। कहीं श्रद्धालु पाद प्रक्षालन कर रहे थे, तो कहीं भक्त चरणों की धूल को मस्तक पर लगाते हुए धन्य हो रहे थे।