किसान अब MSP से कम दाम पर अरहर बेचने को मजबूर नहीं होंगे

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1 जनवरी 2028 से दलहन में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य

नई दिल्ली। अरहर किसानों को अब अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर बेचने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा क्योंकि केंद्र सरकार ने अरहर को कम से कम एमएसपी पर खरीदने की व्यवस्था की है।

इसके लिए अरहर किसानों को उपज आने से पहले पंजीयन कराना होगा। सरकार जल्द ही उड़द व मसूर के लिए भी यह व्यवस्था करने वाली है। इस बात की घोषणा केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने दलहन में आत्मनिर्भरता विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन और अरहर उत्पादक किसानों के पंजीकरण, खरीद एवं भुगतान के लिए भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित (नेफेड) व भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित (एनसीसीएफ) द्वारा विकसित ई-पोर्टल के लोकार्पण के दौरान की। भारत सालाना 25 से 30 लाख टन दालों का आयात करता है। देश में दलहन का सालाना उत्पादन 250 से 270 लाख टन है।

अरहर खरीदेगी केंद्र सरकार
दलहन में आत्मनिर्भरता पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत को दलहन के मामले में आत्मनिर्भर बनाना बहुत जरूरी है। इसके लिए किसानों को दलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित करना होगा। लेकिन कई बार किसान उनकी उपज का कम दाम मिलने के कारण दलहन की खेती करने से हिचकते हैं। सरकार ने आज किसानों की इस समस्या को दूर करने के लिए और किसानों को उनकी उपज खासकर अरहर का दाम दिलाने की व्यवस्था की है। नेफेड और एनसीसीएफ ने अरहर किसानों के पंजीकरण, खरीद व भुगतान के लिए ई- पोर्टल लॉन्च किया है।

शाह ने कहा कि इस पोर्टल पर फसल आने से पहले पंजीयन कराने वाले अरहर किसानों की पूरी अरहर कम से कम एमएसपी पर खरीदी जाएगी। बाजार में अरहर के दाम एमएसपी पर ज्यादा होने पर इस फसल को औसत बाजार मूल्य पर खरीदा जाएगा। यह मूल्य वैज्ञानिक विधि से तय किया जाएगा और यह किसानों के हित में होगा। किसानों को डीबीटी के माध्यम से सीधे भुगतान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों को अगर सरकार द्वारा तय भाव से ज्यादा दाम मिलते हैं तो वे अपनी अरहर अन्य जगह भी बेच सकते हैं।

उड़द व मसूर के लिए भी व्यवस्था होगी
केंद्र सरकार अरहर की तर्ज पर उड़द व मसूर को भी कम से कम एमएसपी पर खरीदने की व्यवस्था जल्द करेगी। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि अभी अरहर को एमएसपी व इससे अधिक औसत बाजार मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की गई है। आगे चलकर जल्द ही उड़द व मसूर के लिए भी यही व्यवस्था की जाएगी। नेफेड व एनसीसीएफ इस संबंध में काम कर रहे हैं और जल्द ही इन दोनों दलहन की खरीद के लिए पोर्टल लॉन्च करेंगे।

दलहन में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार दलहन किसानों और इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। सरकार का लक्ष्य है कि एक जनवरी 2028 से भारत में दलहन का आयात न हो। भारत को न सिर्फ दलहन में आत्मनिर्भर बनना है, बल्कि इतनी दलहन फसलें पैदा करनी है कि हम आयातक की जगह निर्यातक बन सकें। सरकार किसानों को अच्छे बीच मुहैया कराने के लिए भी काम कर रही है।

शाह ने कहा कि दलहन उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनने के कई फायदे हैं। दलहन की खेती से एक हेक्टेयर में 30 से 40 किलो नाइट्रोजन खेतों में बनता है। इससे जमीन की गुणवत्ता सुधरती है। दलहन की खेती में पानी की भी जरूरत कम होती है। दलहन पोषण का बड़ा स्रोत हैं। ऐसे में दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने से पोषण के खिलाफ जंग में भी मदद मिलेगी। इससे किसानों को भी बेहतर दाम मिलेंगे।