चंबल नदी को भी नमामि गंगे परियोजना में शामिल करने का सुझाव

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विश्व जल सम्मेलन में विजयवर्गीय एवं जैन सम्मानित

कोटा /उदयपुर। अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में चंबल संसद के समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय एवं जल बिरादरी के वरिष्ठ सदस्य राजेंद्र जैन को सम्मानित किया गया।

विश्व जन आयोग बाढ़ सुखाड़ एवं तरुण भारत संघ व पंडित जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित इस द्वितीय सम्मेलन में एक दर्जन से अधिक विदेशी पर्यावरणविद मेहमानों एवं देश भर से आए विशेषज्ञों ने जल संरक्षण, नदी बचाओ अभियान, सामुदायिक विकास प्रकृति संरक्षण के साथ सामंजस्य आदि विषयों पर मंथन किया गया।

विश्व जन आयोग बाढ़ सुखाड़ के चेयरमैन डॉ. राजेंद्र सिंह एवं पंडित जनार्दन राय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर शिव सिंह सारंगदेवोत के सानिध्य में आयोजित विश्व स्तरीय सम्मेलन में विजयवर्गीय ने कहा कि चम्बल को कॉस्मेटिक सौंदर्य की आवश्यकता नहीं है, अपितु उसको शुद्धिकरण की आवश्यकता है।

पर्यटन विकास के साथ ही चंबल को नैसर्गिक सौंदर्य भी प्रदान किया जाए एवं प्रदूषित नालों को हर संभव रोकने का प्रयास किया जाए, यही चंबल के साथ न्याय होगा। विजय वर्गीय ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपने घोषणा पत्र में नदियों के संरक्षण, पर्यावरण संवर्धन के उपायों की भी घोषणा करनी चाहिए थी।

नमामि गंगे परियोजना के महानिदेशक से वार्ता
चंबल संसद के समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय ने सम्मेलन में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के विशेष सचिव एवं महानिदेशक जी .अशोक कुमार से रिवर फ्रंट की उपादेयता एवं चंबल नदी के शुद्धिकरण की परियोजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की। जी. अशोक कुमार ने बताया कि चंबल शुद्धिकरण की कोई योजना सीधे-सीधे कार्यवाही में नहीं है, लेकिन उज्जैन में क्षिप्रा को प्रदूषण से मुक्त करने की योजना पर केंद्र सरकार काम कर रही है। क्षिप्रा चंबल में ही गिरती है।

धरती को पानीदार बनाने का संकल्प
गंगा आदि नदी संरक्षण परियोजनाओं पर महानिदेशक के साथ विचार साझा किए गए। इसे तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में देश भर के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका के कैमरून, पुर्तगाल आदि से तथा भारत में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित लक्ष्मण सिंह लापोड़िया, उमाशंकर पांडे एवं पर्यावरणविदों ने भागीदारी की। एक दर्जन से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों ने जल संसाधन प्रबंधन को विश्व की संयुक्त धरोहर मानते हुए धरती को पानीदार बनाने का संकल्प लिया एवं उदयपुर डिक्लेरेशन पर हस्ताक्षर किए।