नई दिल्ली। G20 Summit: भारत जी-20 संगठन का नया अध्यक्ष बन गया है। बाली में दो दिनों से चल रही बैठक के अंतिम दिन इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने पीएम नरेन्द्र मोदी को जी-20 की अध्यक्षता का दायित्व सौंपा। पीएम मोदी ने इस अवसर को हर भारतवासी के लिए एक गौरव की बात बताते हुए कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 एक समावेशी, निर्णायक, महात्वाकांक्षी और क्रियाशील संगठन के तौर पर काम करेगा।
भारत की कोशिश होगी कि अगले एक वर्ष के दौरान विश्व के समक्ष मौजूदा चुनौतियों का सामना नये विचारों और सामूहिक प्रयास से हो। भारत को अध्यक्षता सौंपने से पहले जी-20 देशों की तरफ से बाली में उपस्थित नेताओं की तरफ से घोषणापत्र जारी किया गया। घोषणापत्र में कई बिंदुओं पर भारत की साफ छाप दिखाई देती है। इसमें कहा गया है कि आज के युग को युद्ध का दौर नहीं होना चाहिए।
पीएम नरेन्द्र मोदी ने यही बात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सितंबर 2022 में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के दौरान कही थी। बाद में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों, ब्रिटेन की पूर्व पीएम लिज ट्रुस समेत कई वैश्विक नेताओं ने पीएम मोदी के इस बयान को साहसिक बताया था और इसे रूस पर दबाव बनाने के लिए उपयोग किया था।
रूस की धमकी स्वीकार नहीं: घोषणापत्र में कहा गया है कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देना स्वीकार्य नहीं है। रूस की तरफ से परमाणु युद्ध की धमकी दिए जाने के संदर्भ में पीएम मोदी ने सबसे पहले यह बात अंतरराष्ट्रीय मंच से उठाई थी। यही नहीं यूक्रेन संकट को लेकर जी-20 देशों के प्रमुखों ने मूल तौर पर जो बातें कही हैं वह भी भारत के विचारों से ही पूरी तरह से मेल खा रहे हैं।
फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही भारतीय नेता संयुक्त राष्ट्र में या दूसरे वैश्विक नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकों में यह कहते रहे हैं कि इस संकट का समाधान कूटनीतिक के जरिए या आपसी बातचीत के जरिए होना चाहिए। पीएम ने यह बात राष्ट्रपति पुतिन के समक्ष भी कही थी।
भारत की अहम भूमिका: उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि घोषणापत्र को तैयार करने में भी भारतीय नेतृत्व की अहम भूमिका रही है। घोषणापत्र तैयार करने से जुड़ी बैठकों में भारत ने जी-20 के विकासशील देशों को इस बात के लिए तैयार किया कि यूक्रेन संघर्ष को लेकर अलग से एक पैराग्राफ जोड़ा जाए। सभी देशों ने एक साथ यूक्रेन युद्ध की आलोचना की है, लेकिन यह भी कहा है कि जी-20 संगठन सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के समाधान का मंच नहीं है। यह स्वीकार किया गया है कि यूक्रेन युद्ध का वैश्विक इकोनोमी पर बहुत ही बड़ा असर हो सकता है।